नक्सलियों के विरुद्ध चल रहे जंगी ऑपरेशन में फिर से नगा फोर्स शामिल होगी। राज्य सरकार की मांग पर चार नगा बटालियन समेत एसएसबी (सीमा सुरक्षा बल) की छह बटालियन भी यहां तैनात की जाएंगी। नगा बटालियन के आने से नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान में पांच साल पहले भी नगा व मिजो बटालियन तैनात की गई थी। उस दौरान काफी संख्या में नक्सली मारे गए थे। सैन्य जानकारों के मुताबिक नगालैंड और मिजोरम की फोर्स जंगलवार में काफी अनुभवी है। इन्हें जंगली परिस्थितियों की अच्छी जानकारी होती है। बस्तर में इनके इस्तेमाल से आपरेशन को अच्छी कामयाबी मिली थी। मानवाधिकार संगठनों की शिकायतों व कतिपय अन्य कारणों से इन्हें केंद्र सरकार ने वापस बुलवा लिया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नगा बटालियन को नक्सलियों के लिबरेटेड जोन में तैनात किया जाएगा। इनकी तैनाती के लोकेशन भी तय कर दिए गए हैं। सुकमा, नारायणपुर व दंतेवाड़ा जिले के मरईगुड़ा-किस्टारम-चिंतलनार, भेज्जी-चिंतागुफा, बारसूर-छोटेडोंगर में नगा बटालियन तैनात की जाएगी। वहीं जगरगुंडा-चिंतागुपᆬा में सीआरपीएफ की एक बटालियन तैनात होगी। एसएसबी की पोस्टिंग लोकेशन अभी तय नहीं की गई है। सितंबर से फोर्स की रवानगी शुरू हो जाएगी।
नगा फोर्स गोरिल्लावार में आक्रामक
सैन्य मामलों के जानकारों के अनुसार देश के पैरामिलिट्री में नगा व मिजो फोर्स गोरिल्लावार में काफी आक्रामक मानी जाती हैं। इनकी ट्रेनिंग व गृह राज्य के भौगिलिक स्थिति के चलते इनमें अन्य फोर्स की तुलना में नैसर्गिक क्षमता मौजूद होती है। असम में उल्फा, आसू आदि आतंकी संगठनों के खिलाफ चलाए गए आपरेशन में नगा फोर्स की उल्लेखनीय उपलब्धि रही है।
ऑपरेशन के दौरान नगा जवान चौबीसों घंटे सक्रि य रहते हैं। मोर्चा भी यह जगंल के पेड़ों पर बनाते हैं ताकि टारगेट पर हमेशा नजर रहे। विपरीत समय में कंद-मूल व जंगली पशु-पक्षियों का भक्षण कर यह लंबा समय जंगल में बिताने का माद्दा रखते हैं। नक्सलियों के मांद में जाकर आक्रमण करना इनकी शैली बताई जाती है। बहरहाल पुलिस को नगा बटालियन की तैनाती से काफी मदद मिलने की उम्मीद है।
'बस्तर के लिए चार नगा तथा छह एसएसबी की बटालियन भेजे जाने को मंजूरी मिल गई है। जल्द ही फोर्स की आमद होगी। पहुंचविहीन इलाकों में नगा फोर्स की तैनाती की जाएगी।'
एसआरपी कल्लूरी,आईजी, बस्तर
बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान में पांच साल पहले भी नगा व मिजो बटालियन तैनात की गई थी। उस दौरान काफी संख्या में नक्सली मारे गए थे। सैन्य जानकारों के मुताबिक नगालैंड और मिजोरम की फोर्स जंगलवार में काफी अनुभवी है। इन्हें जंगली परिस्थितियों की अच्छी जानकारी होती है। बस्तर में इनके इस्तेमाल से आपरेशन को अच्छी कामयाबी मिली थी। मानवाधिकार संगठनों की शिकायतों व कतिपय अन्य कारणों से इन्हें केंद्र सरकार ने वापस बुलवा लिया था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नगा बटालियन को नक्सलियों के लिबरेटेड जोन में तैनात किया जाएगा। इनकी तैनाती के लोकेशन भी तय कर दिए गए हैं। सुकमा, नारायणपुर व दंतेवाड़ा जिले के मरईगुड़ा-किस्टारम-चिंतलनार, भेज्जी-चिंतागुफा, बारसूर-छोटेडोंगर में नगा बटालियन तैनात की जाएगी। वहीं जगरगुंडा-चिंतागुपᆬा में सीआरपीएफ की एक बटालियन तैनात होगी। एसएसबी की पोस्टिंग लोकेशन अभी तय नहीं की गई है। सितंबर से फोर्स की रवानगी शुरू हो जाएगी।
नगा फोर्स गोरिल्लावार में आक्रामक
सैन्य मामलों के जानकारों के अनुसार देश के पैरामिलिट्री में नगा व मिजो फोर्स गोरिल्लावार में काफी आक्रामक मानी जाती हैं। इनकी ट्रेनिंग व गृह राज्य के भौगिलिक स्थिति के चलते इनमें अन्य फोर्स की तुलना में नैसर्गिक क्षमता मौजूद होती है। असम में उल्फा, आसू आदि आतंकी संगठनों के खिलाफ चलाए गए आपरेशन में नगा फोर्स की उल्लेखनीय उपलब्धि रही है।
ऑपरेशन के दौरान नगा जवान चौबीसों घंटे सक्रि य रहते हैं। मोर्चा भी यह जगंल के पेड़ों पर बनाते हैं ताकि टारगेट पर हमेशा नजर रहे। विपरीत समय में कंद-मूल व जंगली पशु-पक्षियों का भक्षण कर यह लंबा समय जंगल में बिताने का माद्दा रखते हैं। नक्सलियों के मांद में जाकर आक्रमण करना इनकी शैली बताई जाती है। बहरहाल पुलिस को नगा बटालियन की तैनाती से काफी मदद मिलने की उम्मीद है।
'बस्तर के लिए चार नगा तथा छह एसएसबी की बटालियन भेजे जाने को मंजूरी मिल गई है। जल्द ही फोर्स की आमद होगी। पहुंचविहीन इलाकों में नगा फोर्स की तैनाती की जाएगी।'
एसआरपी कल्लूरी,आईजी, बस्तर
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