Tuesday 26 August 2014

Debate in religion parliament sage had fought with sai devotee

साईं को भगवान मानने या नहीं मानने को लेकर बुलाई गई धर्म संसद में साईं समर्थक और साधुओं के बीच विवाद हो गया। साईं समर्थक मनुष्यमित्र ने कहा कि धर्म संसद हिंदुओं को बांटने का काम कर रही है। कोई भी साधु आज गौहत्या को रोकने के लिए अनशन करने को तैयार नहीं है। जब मनुष्यमित्र ने सनातन धर्म के साधुओं से गौहत्या बंद होने तक अन्न् त्यागने का प्रस्ताव रखा, तो एक साधु आए और शंकराचार्य के सामने अन्न् त्यागने को तैयार हो गए। इसके बाद साधुओं के समह ने मनुष्यमित्र को घेर लिया और विवाद बढ़ गया। बाद में साधु संतों के बीच से मनुष्यमित्र को निकाला गया और पुलिस अपने साथ ले गई।

धर्म संसद के दूसरे दिन दिल्ली से तीन साईं समर्थक अशोक कुमार, जितेंद्र कुमार और मनुष्यमित्र मंच पर पहुंचे। हालांकि सिरडी साईं ट्रस्ट की ओर से इनको अधिकृत नहीं किया गया था। तीनों ने कहा कि वे साईं को भगवान मानते हैं। वे सिद्ध पुस्र्ष और सिद्ध आत्मा थे, इसलिए उनकी पूजा करने का सभी को अधिकार है। जब उनसे सवाल किया गया कि क्या वे काशी विद्वत परिषद के निर्णय का पालन करेंगे, तो उन्होंने कहा कि जो सही होगा, उसे माना जाएगा। लेकिन धर्म संसद में आए साधु संतों ने साईं भक्तों के तर्क को मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि साईं ट्रस्ट से कोई भी अधिकृत व्यक्ति नहीं आया है, इसलिए वे साईं भक्तों के तर्क को नहीं मान सकते।

विवाद के बाद द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि साईं समर्थक की बात में कोई तर्क नहीं था। साईं भक्त साईं को इंसान कहकर बच नहीं सकते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि सबका मालिक एक गुस्र्नानक ने कहा था, जबकि साईं ने सबका अल्हा एक कहा था। साईं के पूरे देश में करोड़ों समर्थक हैं, तो मंच पर आकर शास्त्रार्थ करने को कोई क्यों नहीं तैयार है। जब साईं ईश्वर हैं, तो उनके अनुयाई चर्चा के लिए क्यों नहीं आए। साईं ट्रस्ट से कोई नहीं आया, इससे साफ है कि उनके पास कोई तर्क नहीं है।

सनातन धर्म को अपनी कमियों पर करना होगा विचार

पूर्व गृहमंत्री चिन्मयानंद स्वामी ने कहा कि साधु संतों में स्वाध्याय की कमी हो रही है। शास्त्र चिंतन शिथिल हो रहा है। इसके कारण ही धर्म संसद का आयोजन करना पड़ा है। सनातन धर्म को भी अपनी कमियों पर विचार करना होगा। आदिवासी और जंगलों में रहने वाले लोग सनातन धर्म से दूर हो गए। साधुओं की सभा में इस बात का चिंतन करना चाहिए कि सनातन धर्म के लोग मुसलमान, ईसाई और साईं की ओर क्यों झूक रहे हैं।

विदेशी ताकतों की साजिश के कारण इन धर्मों का प्रभाव बढ़ रहा है। बस्तर में नक्सलियों को हथियार पहुंचाने का काम भी इन लोगों ने ही किया। चिन्मयानंद स्वामी ने कहा कि गौतम बुद्ध, गुस्र् नानक, राम और कृष्ण को अवतार बताने की जरूरत नहीं पड़ी, फिर साईं को कृष्ण या राम बनने की क्यों जरूरत पड़ी। यह शास्त्र और मंत्रों को प्रदूषित करने की साजिश है।

छह प्रस्तावों पर लगी मुहर

धर्म संसद में दंडी स्वामी सदानंद स्वामी ने छह प्रस्ताव रखा, जिसे शंकराचार्य के अनुमोदन के बाद पास किया गया। इसमें साईं को न तो गुस्र् माना गया, न संत, न अवतान, न भगवान हैं। गोहत्या को बंद करना चाहिए और गंगा को निर्मल अविरल धारा में प्रवाहित करने के लिए प्रयास करना होगा। विश्वविद्यालयों में गीता, रामायण, महाभारत की पढ़ाई अनिवार्य होना चाहिए। नकली संतों का बहिष्कार करना चाहिए।

ये हिंदु धर्म का नाम लेकर सनातन धर्म को क्षति पहुंचा रहे हैं। नारी का सम्मान बढ़ाना होगा। कानून से कोई हल नहीं निकलने वाला, इसके लिए धर्म जागरण अभियान चलाना होगा। आखिरी प्रस्ताव अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण का था। सरकार को राम मंदिर निर्माण में आ रहे सभी अवरोध को दूर करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

धर्म की रक्षा के लिए बनी सनातन संघर्ष समिति

देश में धर्म की रक्षा के लिए सनातन संघर्ष समिति का गठन किया गया है। यह कमेटी सनातन धर्म के विरोध में उठने वाले मुद्दों पर जवाब देगी। इसके अध्यक्ष नरेद्र गिरी और मंत्री हरिगिरी को बनाया गया है। यह कमेटी देश में अलग-अलग स्थानों पर धर्म संसद का आयोजन करेगी और नकली साधुओं को समाप्त करने के लिए अभियान चलाएंगे।

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