Friday 22 August 2014

Income tax issues notice to political apporch farmers

राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में करोड़ों की जमीन बेचने वाले किसानों में सबसे ज्यादा राजनीतिक रसूखदार और कारोबारी हैं। आयकर विभाग ने जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगने वाले टैक्स को जमा करने के लिए इन राजनीतिक रसूखदारों और कारोबारियों को भी नोटिस भेजी है। हालांकि टैक्स जमा करने के लिए समय सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन अब तक बड़े किसानों ने टैक्स जमा नहीं किया है। आयकर विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार शहर के आठ किलोमीटर के दायरे में आने वाले किसानों को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है।

संयुक्त आयकर निदेशक इन्वेस्टिगेशन संजय कुमार ने बताया शहर बढ़ने से जमीन के दाम बढ़ गए हैं, लेकिन अब भी कृषि भूमि की आड़ में बहुत से बड़े कारोबारी टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं, जबकि कृषि भूमि के मालिक इन कारोबारियों को कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। आयकर विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो महीने में एक दर्जन से ज्यादा बड़े कारोबारी किसानों को इन्वेस्टिगेशन विंग की ओर से नोटिस भेजी गई थी। इनके खिलाफ शिकायत मिली थी कि करोड़ों की जमीन के मालिक होने के बावजूद ये टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं। इसके बाद एक दर्जन से ज्यादा बड़े किसानों ने टैक्स जमा कराया है। यह राशि एक करोड़ रुपए से ज्यादा की बताई जा रही है।

वीआईपी रोड और रिंग रोड के बड़े किसानों को नोटिस

आयकर विभाग के आला अधिकारियों ने बताया कि वीआईपी रोड और रिंग रोड के आसपास के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अब भी कृषि भूमि है। इन कृषि भूमि को किसानों से अब कारोबारियों और राजनीतिक रसूखदारों ने खरीदा है। कृषि भूमि होने के कारण इनका कोई टैक्स जमा नहीं किया जाता है। कैपिटल गेन टैक्स में जमीन या अन्य संपत्ति से होने वाली आय पर टैक्स लगाया जाता है। यह आय खरीदी और बिक्री दोनों पर होती है।


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