Tuesday 12 August 2014

Housing board property worth rupees 4000 crore is not being sold

छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल राजधानी सहित प्रदेशभर में मकान और दुकानें तो बना रहा है, लेकिन उन्हें बेचना मुश्किल हो रहा है। अकेले राजधानी सहित रायपुर जिले में 5000 से ज्यादा मकान और दो सौ से ज्यादा दुकानें ऐसी हैं, जिनकी बुकिंग नहीं हुई है। वहीं बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बस्तर, रायगढ़ कोंडा गांव आदि जगहों पर हजारों मकान नहीं बिक पाए हैं।

इसके चलते हाउसिंग बोर्ड के अलग-अलग डिविजन के कर्मचारियों को वेतन देना मुश्किल हो गया है। हाउसिंग बोर्ड मुख्यालय ने फंड भेजने से मना कर दिया है। सभी डिविजन को मकान और दुकान बेचकर कर्मचारियों के लिए फंड जुटाने कहा गया है। वहीं ऐसे मकानों की संख्या हजारों में है, जो बिक तो गए हैं, लेकिन आबाद नहीं हुए हैं। इन मकानों में ताले लटक रहे हैं।

इन मकानों को खरीदने के बाद मकान मालिक जाने को तैयार नहीं है। वहीं लोकशन का सही चयन नहीं होने के कारण इन मकानों में रहने के लिए किराएदार नहीं मिल रहे हैं। आवास एवं पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत का कहना है कि लगातार अभियान चलाकर हाउसिंग बोर्ड मकानों को सेल कर रहा है।

सेल बढ़ाने के लिए मकानों की स्थिति और लोकेशन ऑनलाइन कर दिया गया है। मकानों का रेट फिक्स किया गया है। वहीं हाउसिंग बोर्ड के अफसरों का कहना है कि काफी संख्या में मकान अंडर कंस्ट्रक्शन हैं, लेकिन इसमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। जो मकान नहीं बिकेंगे, उनका इस्तेमाल रेंटल हाउसिंग के रूप में किया जाएगा।

अकेले रायपुर में 5000 मकान

रायपुर जिले में हाउसिंग बोर्ड के 5000 से अधिक मकान नहीं बिके हैं। केवल रायपुर में ही 2000 करोड़ की संपत्ति को खरीदने वाला कोई नहीं है। नहीं बिकने वाले मकानों में फ्लैट्स ज्यादा हैं। स्वतंत्र मकानों की संख्या कम है। वहीं काफी संख्या में दुकान भी है। अकेले बोरिया कला में 1200 से अधिक फ्लैट्स बनकर तैयार हैं, लेकिन उनकी बुकिंग नहीं हो पाई है। डूमरतराई में 500 से ज्यादा मकान खाली हैं।

बनकर तैयार होने के साल भर बाद भी 3.50 लाख से 35 लाख की कीमतों वाले इन फ्लैट्स को अभी तक ग्राहकों का इंतजार है। वहीं शंकर नगर, खम्हारडीह, कचना, में 60 लाख तक महंगे स्वतंत्र मकान लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। नया रायपुर,मुनगी, धनसुली, आरंग, अभनपुर, भाटापारा, अर्जुनी और बलौदाबाजार में सैकड़ों स्वतंत्र मकान खाली पड़े हैं।

बिलासपुर में 1580 करोड़ फंसे

छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के बिलासपुुर डिविजन में 1580 करोड़ फ्लैट और स्वतंत्र आवास में फंस गए हैं। यहां 3.50 लाख से 40 लाख तक के 1100 से अधिक मकानों की बुकिंग नहीं हो पाई है। मकान नहीं बिकने के कारण बिलासपुर डिविजन में कर्मचारियों को भुगतान करने के लिए रुपए नहीं बचे हैं। बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता आरके राठौर के मुताबिक बिलासपुर डिविजन में जीरो बैलेंस हो गया है।अब तक अफसर कर्मचारियों को इसी कारण जुलाई महीने का वेतन नहीं मिला है। मुख्यालय से कोई फंड नहीं आ रहा है मकान और दुकान बेचकर यहीं फंड जेनरेट करने कहा गया है।

दुर्ग में डेढ़ हजार मकान खाली

दुर्ग में डेढ़ हजार से अधिक मकान खाली हैं। खाली मकानों में ईडब्ल्यूएस से लेकर सीनियर एचआईजी मकान सैकड़ों की संख्या में खाली हैं। सिवनी-बालोद में ढाई सौ से अधिक एलआईजी मकान खाली है। वहीं ईडब्ल्यूएस, एमआईजी और एचआईजी के 100 से अधिक मकान खाली पड़े हैं। परसदा कुम्हारी, बघेरा दुर्ग में 200 से अधिक जूनियर एमआईजी, 100 से अधिक एलआईजी मकानों की बुकिंग नहीं हुई है। औद्योगिक क्षेत्र, उम्दा भिलाई, खारुन ग्रींस, दीनदयाल आवास, अटल आवास आदि प्रोजेक्ट के सैकड़ों मकानों को बुकिंग का इंतजार है।

ग्राउंड फ्लोर के खरीदार ज्यादा

कोरबा र्डिविजन में लगातार बढ़ती कीमतों के कारण लोग हाउसिंग बोर्ड के माकन खरीदने से कतरा रहे हैं। खरमोरा के निर्माणाधीन कॉलोनी में 192 एलआईजी (एस प्लस-1) टाइप मकानों की लागत प्रथम, द्वितीय व तृतीय मंजिल के आधार पर नीचे से ऊपरी फ्लोर की ओर बढ़ते क्रम पर निर्धारित की गई थी। इसके चलते उपर के मकानों को लेने वाले नहीं मिल रहे हैं।

रायगढ़ में एक हजार मकान खाली

रायगढ़ में एक हजार से अधिक मकान खाली पड़े हैं। वहीं बस्तर में 1200 से अधिक खाली हैं। राजनांदगांव में 733 मकानों को खरीदने वाला कोई नहीं है। कोंडागांव में 500 से ज्यादा मकान खाली है।

- हाउसिंग बोर्ड में इतनी बड़ी संख्या में मकान खाली नहीं होने चाहिए। हाउसिंग बोर्ड में सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत बुकिंग आती है तभी निर्माण शुरू होता है। कुछ स्कीमों में ऐसा हो सकता है। आम तौर पर किसी भी स्कीम की 90 फीसदी मकान की बुकिंग हो जाती है। मकान व दुकानों को बेचने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। लगातार विज्ञापन आ रहे हैं । यह भी समस्या थी कि लोगों को पता नहीं चल पाता था। इसके सुधार किए हैं। मकान के रेट भी फिक्स किए गए। इससे बुकिंग में तेजी आएगी।

-राजेश मूणत, आवास एवं पर्यावरण मंत्री

- प्रदेश में इतनी ज्यादा संख्या में मकान बन कर खाली नहीं पड़े हैं। यह संख्या उन मकानों की है, जिनकी प्लानिंग हो गई है और निर्माणाधीन हैं। कुछ हजार मकान जरूर खाली हैं, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि वे उपयोगहीन हैं। हाउसिंग बोर्ड ऐसे मकानों का इस्तेमाल रेंटल हाउसिंग के रूप में करेगा। ऐसे मकानों को किराए पर दिया जाएगा।

-संजय शुक्ला, आयुक्त, छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड

- हाउसिंग बोर्ड की सबसे बड़ी कमजोरी है लोकेशन और क्वालिटी। आज लोग था़ेडा-सा अधिक पैसा लगाकर अच्छे लोकेशन में क्वालिटी हाउसिंग लेना चाहते हैं। यही वजह है कि प्राइवेट सेक्टर में हाउसिंग में तेजी है।

-शैलेष वर्मा, उपाध्यक्ष, क्रेडाई

- फ्लैट बुक नहीं होने से मंडल पर संकट की स्थिति है। अधिकारी-कर्मचारियों को जुलाई महीने का वेतन नहीं मिला है। इस संकट से निकलने का प्रयास किया जा रहा है। फ्लैट बुक होने से आर्थिक संकट समाप्त हो जाएगा। गृह निर्माण मंडल को राज्य शासन से कोई फंड नहीं मिलता स्वयं ही जेनरेट करना होता है।

-आरके राठौर, कार्यपालन अभियंता, बिलासपुर डिविजन

- रायगढ़ में पिछले एक साल से जमीन नहीं मिली है, इसलिए यहां नया काम शुरू नहीं हो पाया है पुराने सभी काम पूरे हो चुके हैं और निर्मित मकान बिक चुके हैं। यहां वेतन का संकट नहीं है।

-पीसी अग्रवाल, कार्यपालन अभियंता, रायगढ़ डिविजन

- रायपुर डिविजन में मकान लगातार बिक रहे हैं। हालांकि खर्चे कम करने के निर्देश दिए गए हैं। नया रायपुर प्रोजेक्ट में भी अच्छी सेल आई है। जो मकान खाली हैं उन्हें जल्द ही बेच दिया जाएगा।

-एचके वर्मा, कार्यपालन अभियंता, रायपुुर डिविजन

गृह निर्माण मंडल द्वारा पूर्व में निर्धारित लागत को राज्य शासन ने फिक्स करते हुए नई दर लागू की है। खरमोरा में बन रहे आवासीय कॉलोनी में एलआईजी मकानों का पंजीयन कराने पर हितगा्रहियों को अब एक ही दर देना होगा।

- अनिल निखरा, एई, गृह निर्माण मंडल, कोरबा

यहां प्रमुख रूप से खाली हैं मकान

रायपुर - 5000

बिलासपुर- 1102

दुर्ग- 1528

बस्तर- 1218

रायगढ़- 1019

राजनांदगांव- 733

कोंडागांव- 517

कोरबा- 6


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