Tuesday 26 August 2014

Security arrangements were not according to number of devotees in chitrakoot

प्रदेश में मेलों और धार्मिक स्थलों में जिला प्रशासन सुरक्षा मुहैया नहीं करा पा रही है। यही वजह है कि नौ सालों में चार बड़े हादसों में 250 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। ऐसा ही एक हादसा सोमवार सुबह चित्रकूट के कामदगिरी परिक्रमा के दौरान अफवाह के बाद मची भगदड़ से हुआ है। इनमें 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई।

इस बार भी जिम्मेदार अफसर हादसे की जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालने में जुट गए हैं। सरकार भी मामले को दबाने के लिए प्रशासनिक या न्यायिक जांच आयोग बैठाने की तैयारी में है। हर हादसे के बाद राज्य सरकार सभी कलेक्टरों को सुरक्षा व्यवस्था की गाइड लाइन जारी करती है, लेकिन इसका पालन नहीं होता। 13 अक्टूबर 2013 में दतिया जिले में रतनगढ़ हादसे के बाद गृह विभाग ने हमेशा की तरह फिर 29 अक्टूबर को सुरक्षा व्यवस्था के निर्देश जारी किए थे। चार पेज के 19 बिंदु वाले पत्र में सुरक्षा व्यवस्था के पहलुओं को स्पष्ट किया गया है, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व मंत्री की घोषणाएं ठंडे बस्ते में

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने चित्रकूट में धार्मिक आयोजनों को देखते हुए एसडीएम हेडक्वार्टर बनाने की घोषणा की थी, लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी। चित्रकूट आज भी एक एसडीओपी के भरोसे है। पूर्व संस्कृति और धर्मस्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कामदगिरी परिक्रमा को मेले का दर्जा दिलाए जाने की घोषणा की थी, जो पूरी नहीं हो पाई। इसके चलते सरकार से पर्याप्त बजट नहीं मिलने से बेहतर व्यववस्थाएं नहीं हो पातीं।

हादसों पर एक नजर

देवास का धाराजी हादसा

7 अप्रैल 05 में जिला प्रशासन के अफसरों की लापरवाही के चलते धाराजी में अचानक पानी छोड़े जाने से भूतड़ी अमावस्या मेले में आए 70 श्रद्धालु बह गए। सरकार ने जलसंसधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव अरविंद जोशी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच दल बनाया। जोशी ने 30 मई को रिपोर्ट सरकार को सौंपते हुए पूरी तरह जिला प्रशासन को दोषी ठहराया। सरकार में बैठे आला अफसरों ने तत्कालीन कलेक्टर आशीष श्रीवास्तव और तत्कालीन एसपी आरके चौधरी को क्लीनचिट दे दी। वहीं एडीएम एमएस मरकाम, एसडीएम जगदीश गोमे, तहसीलदार वीएस रोमरे को दोषी ठहराकर मुकदमा चला दिया।

दतिया का रतनगढ़ हादसा 2006

एक अक्टूबर को मणीखेड़ा डैम से 5 से 6 फीट पानी बगैर पूर्व सूचना के छोड़ने से रतनगढ़ माता के दर्शन के लिए आए 57 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। राज्य सरकार ने रिटायर्ड जस्टिस एसके पांडेय की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया। जस्टिस पांडेय ने तत्कालीन कलेक्टर गीता को लापरवाही का दोषी ठहराया, वहीं तत्कालीन एसपी प्रमोद वर्मा को क्लीनचिट दी। सरकार ने कलेक्टर को बचाने गृह मंत्री बाबूलाल गौर की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर तत्कालीन कलेक्टर गीता को क्लीनचिट दे दी। वहीं इस मामले में जलसंसाधन विभाग के कुछ इंजीनियरों पर कार्रवाई की गई।

दतिया का रतनगढ़ हादसा 2013

दूसरी बार 13 अक्टूबर को रतनगढ़ में दूसरी बार हुए हादसे में 115 श्रद्धालुओं की मौत होने पर राज्य सरकार ने जस्टिस राकेश सक्सेना की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया। जस्टिस सक्सेना ने तत्कालीन कलेक्टर संकेत भोंडवे और तत्कालीन एसपी चंद्रशेखर सोलंकी सहित एसडीएम और एसडीओपी को क्लीनचिट दे दी। इस मामले में भी एसएएफ के दो जवानों को दोषी ठहराया गया।

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