Tuesday 12 August 2014

Hya-pradesh/bhopal-ibola-alert-not-how-to-take-sample-160665

हालांकि इबोला को लेकर अलर्ट सिर्फ हवाई है। जिलों में स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को भी यह पता नहीं है कि इसके सैंपल कैसे लिए जाते हैं। इस बीमारी के इलाज और अस्पताल में मरीज की केयर के बारे में भी किसी को जानकारी नही है। इस बीमारी के संबंध में विभाग ने स्वास्थ्य कर्मचारियों को अभी तक न कोई ट्रेनिंग दी है और न ही गाइड लाइन के बारे में बताया है।

स्वास्थ्य संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि अफ्रीकी देशों से आने वाले लोगों का पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा। किसी भी तरह के लक्षण नहीं होने पर भी तीन हफ्ते तक उनकी निगरानी की जाएगी। इसकी वजह यह कि इबोला वायरस के लक्षण दिखने में कई बार 21 दिन तक लग जाते हैं। संचालनालय ने सभी जिलों में सीएमएचओ और सिविल सर्जन को यह जिम्मेदारी दी है।

खासतौर पर एयरपोर्ट पर विशेष निगरानी रखने के लिए कहा गया है। प्रदेश में भोपाल, इंदौर, खजुराहो और जबलपुर के हवाई अड्डों पर आने-जाने वालों से पूछताछ शुरू कर दी गई है। संदिग्ध मरीजों के नमूने लेकर जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे भेजने के लिए कहा गया है। हालांकि प्रदेश में अभी तक इस बीमारी का कोई संदिग्ध नहीं मिला है। डॉक्टरों के मुताबिक यह बीमारी फ्लूड कांटेक्ट के जरिए एक से दूसरे में फैलती है।

इनका कहना है

इबोला को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। इसमें सतर्कता की जरूरत है। यह काम किया जा रहा है। सभी सीएमएचओ एवं सिविल सर्जन को निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

- डॉ. केके ठस्सू, संचालक, अस्पताल प्रशासन

 
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