प्रदेशभर में अगस्त के प्रारंभ में हुई भारी बारिश से बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित हुए हैं। मकान क्षतिग्रस्त होने और बाढ़ के पानी से फसलों को भी नुकसान पहुंचने की सूचना है। इस आधार पर सरकार ने सभी अफसरों को प्रभावित इलाकों का दौरा करने के निर्देश दिए हैं। ताकि बाढ़ के बाद कहीं पर बीमारियों का प्रकोप भी न फैले। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देश पर राज्य के बाढ़ग्रस्त जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों ने टीम बनाकर पीड़ित परिवारों को मदद पहुंचाने का अभियान शुरू कर दिया है। ये अधिकारी गांवों का सघन दौरा कर रहे हैं और मौके पर ही ग्रामीणों से चर्चा कर राहत शिविरों तथा राहत उपायों की समीक्षा भी कर रहे हैं।
कई गांवों में भर गया पानी
ज्ञातव्य है कि इस महीने की चार और पांच तारीख को भारी वर्षा के कारण राज्य के पांच जिलों- बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर-चाम्पा, रायगढ़ और कोरबा के 73 गांवों में बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई और लगभग 45 हजार 658 लोग प्रभावित हुए। इस महीने की छह तारीख की स्थिति में उनके लिए 73 राहत शिविर संचालित किए जा रहे थे। इनमें 13 हजार 718 लोगों को ठहराया गया था।
बाढ़ का पानी उतरने पर अब इन शिविरों से लोगों का घर लौटना भी शुरू हो गया है। प्रभावित गांवों में संक्रामक बीमारियों की समय पूर्व रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। इन गांवों में जल शुद्घिकरण के लिए ब्लीचिंग पावडर और क्लोरिन टेबलेट की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
मकान और फसलों के नुकसान का मुआवजा
कलेक्टर रायगढ़ ने बाढ़ प्रभावित विकासखंड पुसौर के ग्राम चंगोरी, खपरापाली, सूरजगढ़ और पड़िगांव तथा विकासखंड बरमकेला के ग्राम परसरामपुर, रानीडीह, कोर्रा, पोरथ और तोरा में ग्रामीणों से मुलाकात की। कलेक्टर ने राहत शिविरों में ठहराए गए परिवारों के लिए भोजन, पेयजल, बिजली और साफ-सफाई की व्यवस्था का भी जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को शिविरों में बाढ़ पीड़ितों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए।
तीनों विकासखंडों-पुसौर, बरमकेला और सारंगढ़ के सभी 46 बाढ़ प्रभावित गांवों में अधिकारियों और कर्मचारियों के दल गठित सर्वेक्षण करके मकानों और फसलों आदि को हुए नुकसान पर संबंधित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक विपदा को देखते हुए इस महीने की सात तारीख को मंत्रिपरिषद की बैठक में स्थिति की समीक्षा कर सभी संबंधित जिला कलेक्टरों को राहत कार्य युद्घ स्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए थे।
कई गांवों में भर गया पानी
ज्ञातव्य है कि इस महीने की चार और पांच तारीख को भारी वर्षा के कारण राज्य के पांच जिलों- बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर-चाम्पा, रायगढ़ और कोरबा के 73 गांवों में बाढ़ की स्थिति निर्मित हुई और लगभग 45 हजार 658 लोग प्रभावित हुए। इस महीने की छह तारीख की स्थिति में उनके लिए 73 राहत शिविर संचालित किए जा रहे थे। इनमें 13 हजार 718 लोगों को ठहराया गया था।
बाढ़ का पानी उतरने पर अब इन शिविरों से लोगों का घर लौटना भी शुरू हो गया है। प्रभावित गांवों में संक्रामक बीमारियों की समय पूर्व रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है। इन गांवों में जल शुद्घिकरण के लिए ब्लीचिंग पावडर और क्लोरिन टेबलेट की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
मकान और फसलों के नुकसान का मुआवजा
कलेक्टर रायगढ़ ने बाढ़ प्रभावित विकासखंड पुसौर के ग्राम चंगोरी, खपरापाली, सूरजगढ़ और पड़िगांव तथा विकासखंड बरमकेला के ग्राम परसरामपुर, रानीडीह, कोर्रा, पोरथ और तोरा में ग्रामीणों से मुलाकात की। कलेक्टर ने राहत शिविरों में ठहराए गए परिवारों के लिए भोजन, पेयजल, बिजली और साफ-सफाई की व्यवस्था का भी जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को शिविरों में बाढ़ पीड़ितों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखने के निर्देश दिए।
तीनों विकासखंडों-पुसौर, बरमकेला और सारंगढ़ के सभी 46 बाढ़ प्रभावित गांवों में अधिकारियों और कर्मचारियों के दल गठित सर्वेक्षण करके मकानों और फसलों आदि को हुए नुकसान पर संबंधित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक विपदा को देखते हुए इस महीने की सात तारीख को मंत्रिपरिषद की बैठक में स्थिति की समीक्षा कर सभी संबंधित जिला कलेक्टरों को राहत कार्य युद्घ स्तर पर संचालित करने के निर्देश दिए थे।
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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