Wednesday, 6 August 2014

10 million in each year of the new bridge is repaired

बीते तीन साल पहले 2 करोड 9 लाख 25 हजार रूपए की लागत से निर्मित पुल का 30 लाख में दो बार मरम्मत करना पड़ गया है । दरअसल गोवर्धनपुर का निर्माण गुणवत्ताविहीन होने के कारण साल भर नहीं टिक पाया । हालांकि पहले दफे ठेकेदार द्वारा परफार्मेंस गांरटी के तहत मरम्मत किया गया था । अब दोबारा मरम्मत के लिए करीब 20 लाख रूपए का टेंडर जारी किया गया है । इससे पुल की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने लगा है ।

शहर के यातायात दबाव को कम करने के नाम पर गोर्वधनपुर बाईपास रोड में 2 करो़ ड 9 लाख 25 हजार की लागत से 123 मीटर लंबा पुल का निर्माण किया गया था । बीते 31 अक्टूबर 2010 को निर्माण पूरा होने के बाद सेतू निगम को हेंडओव्हर कर दिया गया था । इस पुल का निर्माण भारी वाहनों के क्षमता के हिसाब से किया गया था । बताया जाता है कि इस पुल का निर्माण होने के बाद भारी वाहन बड़े रामपुर से घूस कर गोवर्धनपुर पुल से सीधे इंदिरा विहार के पास निकलते है ।

खास बात यह है कि भारी वाहनों के क्षमता के हिसाब से निर्माण किए गए पुल की गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण तीन साल के परफार्मेंस गारंटी के तहत ही पुल का मरम्मत करना पड़ गया था । हालांकि इस दौरान परफार्मेंस गारंटी में होने के कारण ठेकेदार द्वारा ही करीब 10 लाख रूपए खर्च कर मरम्मत किया गया था । अब एक बार फिर से सेतू निगम द्वारा इस पुल के मरम्मत करने के लिए 19 लाख 78 हजार रूपए का टेंडर जारी किया गया है । खस बात यह है कि साढ़े तीन साल में नए पुल को दो बार मरम्मत करने की जरूरत पड़ गया है । ऐसे में इस पुल के गुणवत्ता को लेकर अब सवाल उठने लगा है।

ज्वाईंट में दरार

गोवर्धनपुर पुल में दो स्लेब के बीच में दरार आ गया है । अब दरार का मरम्मत करने के लिए टेंडर जारी किया गया है । सेतू निगम के अधिकारी 15 अगस्त के बाद मरम्मत का काम शुरू होने की बात कह रहें है । बताया जाता है कि पुल का निर्माण मापदंड के तहत नहीं होने के कारण ही साढ़े तीन साल में दरार आ गई है । दरार आने के कारण भारी वाहनों से पुल टूटने की बात कही जा रही है ।

पहले 10 लाख अब 20 लाख

परफार्मेंस गारंटी के दौरान पुल में दरार आने से ठेकेदार द्वारा करीब 10 लाख रूपए खर्च कर मरम्मत किया गया था । अब दोबारा मरम्मत करने के लिए करीब 20 लाख रूपए का टेंडर जारी किया गया है । ऐसे में इस पुल पर मरम्मत के नाम पर ही साल 10 लाख रूपए खर्च होने की बात कही जा रही है ।

बिलासपुर का ठेकेदार

जिले में निर्मित अधिकांश पुल-पुलिया का निर्माण बिलासपुर व अंबिकापुर के ठेकेदारों द्वारा किया गया है । खास बात यह है कि सड़क के अलावा जिले के ठेकेदार अन्य निर्माण कार्य करने के लिए कतराते है । इसके चलते सेतू निगम द्वारा निर्माण किए जाने वाले अधिकांश पुल -पुलिया का निर्माण बाहर के ठेकेदार ही करते है । बताया जाता है कि बाहरी ठेकेदार होने के कारण अधिकारियों का दबाव भी नहीं बन पाता है । इसके चलते ठेकेदार मनमानी निर्माण कर शासन को चपत लगा देते है ।

सेलफोन बंद

इस मामले में चर्चा करने के लिए पीडब्ल्यूडी सेतू निगम के ईई आरए तिवारी के सेलफोन पर कई बार संपर्क किया गया , लेकिन उनका फोन बंद था । सेतू निगम के एसडीओ आरएम शेख से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि ये कार्य डिवीजन टू का है । ऐसे में डिवीजन टू के अधिकारी ही बता पाएंगे ।

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