Wednesday, 6 August 2014

Old school buildeng collepsed

कटघोरा ब्लॉक में संचालित एक पुराना स्कूल भवन सोमवार की सुबह भर-भराकर गिर गया। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि हादसा उस वक्त हुआ, जब बच्चे स्कूल में नहीं थे। स्कूल लगने के निर्धारित समय से एक घंटे पहले ही स्कूल की छत अचानक ढह गई। इस स्कूल भवन को 10 साल पहले ही जर्जर घोषित करते हुए कक्षा लगाने की मनाही कर दी गई थी। बावजूद इसके भवन के अभाव में 5 साल तक कक्षाएं लगाई जाती रही। अब उससे लगे अतिरिक्त कक्ष में कक्षाएं लगाई जा रही थी।

यह हादसा विकासखंड शिक्षा अधिकारी कटघोरा अंतर्गत प्राइमरी स्कूल पुरैना का है। यहां नगर निगम द्वारा निर्मित पुराना प्राइमरी स्कूल भवन सोमवार की सुबह करीब 8 बजे अचानक ढहकर मलबे में तब्दील हो गया। नगर निगम के वार्ड क्रमांक 58 में स्थित इस स्कूल भवन को वर्ष 2005 में ही नगर निगम द्वारा जर्जर घोषित कर दिया गया है। बावजूद इसके स्कूल भवन में कक्षाएं लगाई जाती रही।

तीन साल पहले दो अतिरिक्त कमरों के निर्माण के बाद स्कूल की कक्षाएं नए भवन में लगाई जा रही हैं। प्राइमरी स्कूल में पहली से पांचवी कक्षा तक 46 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। नए भवन से लगे होने के कारण यहां के बच्चे स्कूल के दौरान, भोजन अवकाश व स्कूल की छुट्टी के बाद भी अक्सर उसी पुराने जर्जर भवन में खेला करते थे। ग्रामीणों के अनुसार रविवार की रातभर लगातार बारिश होने की वजह से पहले से कमजोर हो चुकी भवन की दीवारें व छत का कुछ हिस्सा टूट कर गिर गया था।

उसके बाद सोमवार की सुबह 7 से 8 बजे के बीच पूरी छत व दीवारें ढह गई। यहां पदस्थ एक मात्र शिक्षाकर्मी वर्ग-3 अजय पटेल न बताया कि भवन ढहने के बाद भी कक्षाएं अतिरिक्त कक्ष में लगाई गई थी। एक ओर मध्यान्ह भोजन नहीं पहुंचने के कारण बच्चे भूखे थे, तो दूसरी ओर हादसे के मद्देनजर ग्रामीणों जल्दी छुट्टी करने की मांग कर रहे थे। लिहाजा बच्चों को जल्दी छुट्टी दे दी गई। उल्लेखनीय होगा कि जिले में काफी संख्या में ऐसे कई पुराने स्कूल भवन हैं, जिन्हें वर्षों पहले ही जर्जर घोषित करते हुए कक्षाएं लगाने से मना कर दिया गया है। बावजूद इसके इन भवनों को नहीं तोड़े जाने की वजह से बच्चों की जान सांसत में है। ऐसे भवनों को डिस्मेल्टर कर दिए जाने के तमाम विभागीय दावों की पोल पुरैना के इस हादसे ने खोलकर रख दी है।

कई संचालित भवन गिरने की कगार में

पुरैना के गिर चुके पुराने स्कूल भवन में तो फिर भी तीन साल पहले कक्षाएं लगाना बंद किया जा चुका है, पर कोरबा विकासखंड अंतर्गत प्राइमरी स्कूल बनखेता अब भी बच्चों के लिए काल बनकर खड़ा है। कोरकोमा संकुल अंतर्गत ग्राम पंचायत मुढ़ूनारा के आश्रित ग्राम बनखेता का यह शासकीय प्राइमरी स्कूल भवन पिछले कई वर्षों से जर्जर घोषित किया जा चुका है। बावजूद इसके भवन के अभाव के कारण यहां के 23 बच्चों को उसी जर्जर भवन में बैठकर पढ़ाई करने मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी भी विभाग के पास नहीं है, बावजूद इसके नए भवन के निर्माण के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। सोमवार को भी तेज बारिश की वजह से स्कूल की छुट्टी करते हुए यहां पदस्थ शिक्षाकर्मी वर्ग-3 रामपाल पटेल व रश्मि पात्रे अपने-अपने घर चले गए। कोरकोमा संकुल प्रभारी बीके खांडे ने बताया कि बनखेता का स्कूल भवन बैठने लायक नहीं है। बावजूद इसके भवन की कमी के चलते वहीं कक्षाएं लगाई जा रही हैं। पिछले वर्ष यहां के आंगनबाड़ी भवन में बच्चे कम होने के कारण वहीं प्राइमरी स्कूल लगाया जा रहा था।

तालाब में तब्दील हरदीबाजार कन्या छात्रावास

पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही बारिश में विभिन्न शासकीय स्कूल भवनों व छात्रावासों की हालत खराब कर रखी है। कुछ ऐसी ही स्थित सोमवार को हरदीबाजार के कन्या छात्रावास में देखने को मिला। यहां का भवन बारिश के पानी के चलते चारों ओर से घिर चुका है। मुख्य गेट से तालाब की शक्ल में तब्दील इस छात्रावास की छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छात्रावास अधीक्षिका श्रीमती कमला देवी राज ने बताया कि इसी तरह पानी लगातार भरा रहा, तो सीपेज के कारण भवन की दीवारें खराब होंगी। दूसरी ओर पानी के निकलने का रास्ता नहीं होने के कारण यहां तालाब जैसी स्थिति निर्मित हो गई है। आने-जाने में परेशानी तो हो ही रही है, जहरीले जीव-जंतुओ का खतरा भी उठाना पड़ सकता है।

इनका कहना है

ऐसे कई पुराने स्कूल भवन हैं, जो एसईसीएल प्रबंधन व निगम प्रशासन ने 10 से 15 वर्ष पूर्व बनाए गए थे। नियमित रख-रखाव व मरम्मत के अभाव में भवन खंडहरों में तब्दील होते जा रहे हैं। जर्जर घोषित भवनों के डिस्मेल्ट करने की जवाबदारी भी उन्ही है, जिसके द्वारा भवन का निर्माण किया गया है। उन्हें पत्र लिखा जाएगा, ताकी जल्द से जल्द बच्चों के लिए खतरा बन रहे भवनों को तोड़की हटाया जा सके।

- जीआर राजपूत, बीईओ, कटघोरा

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