Tuesday, 5 August 2014

Chain snatching gang challenging police

आम नागरिकों की चेन उड़ाने वाले चेन स्नेचरों ने अब जिला पुलिस की नींद उड़ा दी है। जिले के हर बड़े थाना क्षेत्र में वारदातें कर चेन स्नेचर गैंग पुलिस को खुली चुनौती देती हुई नजर आ रही है। लगातार हो रही वारदातों से पुलिस की खूब किरकरी हो रही है। पुलिस कप्तान के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। होशंगाबाद व पिपरिया में शनिवार शाम व रात में हुई वारदात के बाद से पुलिस अधिकारी सो नहीं पाए हैं।

ये रातभर गश्त करते रहे, लेकिन गैंग के सदस्य वारदात को अंजाम देने के बाद फिर चूहों की तरह बिल में घुस गए। इटारसी एसडीओपी मंगल सिंह ठाकरे का कहना है कि उन्होंने स्नेचरों पर ईनाम घोषित करने का प्रतिवेदन पुलिस अधीक्षक को भेजा है। उनका कहना है कि पुलिस तो अपनी कोशिश पूरी तरह से कर रही है, जनता की सहभागिता की भी जरूरत पुलिस को है।

एक ही पेटर्न पर वारदातें

जिले में जहां भी चेन स्नेचिंग हो रही है, उसका पेटर्न एक जैसा ही है। स्नेचर वारदात करने के तत्काल बाद एक वारदात और करते हैं। वारदात का स्थान भी ऐसा होता है जहां पर भागने के लिए सड़कें व भीड़ अधिक हो।

इसलिए हो रही कामयाब

एक माह से जिले में चेन स्नेचिंग का सिलसिला चल रहा है, लेकिन शुरुआती वारदातों को पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। छुटभैय्ये अपराधियों द्वारा की गई वारदात को समझकर हाथ पर हाथ धरे पुलिस बैठी रही। इटारसी में तो शुरुआती वारदातों में पुलिस ने मौके पर पहुंचना भी उचित नहीं समझा। पुलिस की दूसरी कमजोरी ये है कि पुलिस का आपस में सामांजस्य नहीं है।

वारदात होने के तत्काल बाद पुलिस आसपास के थानों में घेराबंदी नहीं करती। वहीं पुलिस का मुुखबिर तंत्र भी फेल हो चुका है। अपराधियों से पुलिस की सीधे मिलीभगत होने के कारण मुखबिर भी सूचना देने से डर रहे हैं। इसके अलावा पुलिस का यातायात महकमा निठल्ला होने के कारण कोई भी खुलेआम वाहन सड़कों पर दौड़ा रहा है। चेन स्नेचर भी वारदात को अंजाम देकर इसलिए ही भाग निकलते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि सड़क पर वाहन जांचने के लिए कोई मौजूद ही नहीं होता।

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