दो दिन पहले ही पौधरोपण के मामले में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले वाले महकमे ने शनिवार को अपने अफसर के आवास के लिए दर्जनों हरे-भरे पेड़ों को काट दिया। चार मजदूर दिनभर हर्बल पार्क में पेड़ों की कटाई करते रहे। कहा जा रहा है कि यहां साहब के आवास के लिए भवन बनाया जा रहा है। इसके पहले भी यहां आवास निर्माण के लिए पेड़ों की बलि चढ़ाई जा चुकी है।
कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित वन विभाग के दफ्तर के पास ही हर्बल पार्क से जुड़ी शासकीय भूमि पर बड़ी तादाद में पेड़ लगे हैं। पेड़ों की सुरक्षा के लिए यहां पहले से ही फेंसिंग की जा चुकी है। शनिवार को अचानक यहां पेड़ों की कटाई का सिलसिला शुरू हो गया। जानकारी लेने पर पता चला कि यहां विभागीय अफसर के लिए बंगला बनाया जाना है, इसलिए पेड़ों की कटाई की जा रही है।
कांटों के बहाने काटे पेड़
वन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि यहां बबूल, शू-बबूल, रिंमझा और अन्य कांटेदार प्रजातियों के पेड़ हैं। इसके अलावा कुछ झाड़ियां हैं। इन्हें काटकर अलग किया जा रहा है। इसके बाद यहां निर्माण कार्य शुरू होगा।
उपसंचालक का निवास बनेगा
बताया जाता है कि इस स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के एक अफसर का बंगला बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके पहले भी कुछ समय पहले हर्बल पार्क में एक बंगला निर्माण किया गया था। इस दौरान भी यहां पेड़ों को काटा गया था। इसके बाद बीते वर्ष पेड़ काटकर भवन का फाउंडेशन तैयार किया गया। उसके बाजू में लगे पेड़ वाली जगह पसंद आने पर फिर से पेड़ काटकर जगह साफ कराई जा रही है।
हर्बल पार्क में बनेगा विश्राम भवन
वन विभाग का एक विश्राम बनना भी प्रस्तावित है। उसका स्टीमेट तैयार हो चुका है। लाभांश की 18 लाख की लागत से हरे-भरे हर्बल पार्क के पेड़ काटकर यहां पर एक विाम भवन बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए भी पेड़ों की कटाई किए जाने की आशंका है।
आवास बनेगा
हर्बल पार्क के पास वाले क्षेत्र के बाजू में विभाग की जगह पर आवास बनाने के लिए स्थान स्वीकृत हुआ है। यहां बना पुराना आवास क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस कारण नया आवास बनाया जा रहा है। बबूल के कुछ पेड़ काटकर हटाए गए हैं। एके मिश्रा, उपसंचालक, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व
ईको पर्यटन केंद्र बनना प्रस्तावित
कलेक्ट्रेट के पीछे स्थित हर्बल पार्क में जहां बंगला बनाने के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है। उस स्थान पर तीन करोड़ रुपए की लागत से ईको पर्यटन केंद्र बनाया जाना पहले से ही प्रस्तावित है। इस योजना का शिलान्यास 10 नवंबर 2013 में चुनाव जीतने के बाद सरताज सिंह ने किया था। उक्त कार्यक्रम में होशंगाबाद के तत्कालीन नवनिर्वाचित विधायक डॉ सीतासरन शर्मा भी मौजूद थे।
योजना के अनुसार यहां सैलानियों के ठहरने के लिए चलित कॉटेज बनाए जाने हैं। नर्मदा किनारे एक पाथ-वे बनेगा। कैफेटेरिया, कांफ्रेंस हॉल सहित अन्य कार्य कराए जाएंगे। पूरे परिसर को सोलर गांव के रूप में विकसित किए जाने की बात उस वक्त श्री सिंह ने कही थी। यह काम ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा कराए जाने हैं। उन्होंने योजना का शिलान्यास भी किया था। कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक जी कृष्णमूर्ति भी मौजूद थे।श्री कृष्णमूर्ति ने बताया था कि बच्चों के मनोरंजन के लिए हर्बल पार्क में खेल के उपकरण भी लगाए जाएंगे। उक्त सभी कार्य पूरे हो जाने के बाद यहां सैलानियों का आना-जाना बढ़ जाएगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा।
पंचकर्म चिकित्सा इकाई बनेगी
श्री सिंह ने बताया था कि 34 एकड़ का यह परिसर पर्यटक गतिविधियों को विकसित करने के लिए काफी उपयुक्त है। यहां पंचकर्म चिकित्सा इकाई भी स्थापित की जाएगी। उन्होंने अपने वन मंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के रीवा, दौलतपुर, पूर्वा वाटर फॉल और बीहर नदी के तट पर कराए गए विकास कार्यों का भी जिक्र किया था। अब यहां निवास बनाए जाने की नई योजना से लगता है कि पिछली योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित वन विभाग के दफ्तर के पास ही हर्बल पार्क से जुड़ी शासकीय भूमि पर बड़ी तादाद में पेड़ लगे हैं। पेड़ों की सुरक्षा के लिए यहां पहले से ही फेंसिंग की जा चुकी है। शनिवार को अचानक यहां पेड़ों की कटाई का सिलसिला शुरू हो गया। जानकारी लेने पर पता चला कि यहां विभागीय अफसर के लिए बंगला बनाया जाना है, इसलिए पेड़ों की कटाई की जा रही है।
कांटों के बहाने काटे पेड़
वन विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि यहां बबूल, शू-बबूल, रिंमझा और अन्य कांटेदार प्रजातियों के पेड़ हैं। इसके अलावा कुछ झाड़ियां हैं। इन्हें काटकर अलग किया जा रहा है। इसके बाद यहां निर्माण कार्य शुरू होगा।
उपसंचालक का निवास बनेगा
बताया जाता है कि इस स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के एक अफसर का बंगला बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके पहले भी कुछ समय पहले हर्बल पार्क में एक बंगला निर्माण किया गया था। इस दौरान भी यहां पेड़ों को काटा गया था। इसके बाद बीते वर्ष पेड़ काटकर भवन का फाउंडेशन तैयार किया गया। उसके बाजू में लगे पेड़ वाली जगह पसंद आने पर फिर से पेड़ काटकर जगह साफ कराई जा रही है।
हर्बल पार्क में बनेगा विश्राम भवन
वन विभाग का एक विश्राम बनना भी प्रस्तावित है। उसका स्टीमेट तैयार हो चुका है। लाभांश की 18 लाख की लागत से हरे-भरे हर्बल पार्क के पेड़ काटकर यहां पर एक विाम भवन बनाया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए भी पेड़ों की कटाई किए जाने की आशंका है।
आवास बनेगा
हर्बल पार्क के पास वाले क्षेत्र के बाजू में विभाग की जगह पर आवास बनाने के लिए स्थान स्वीकृत हुआ है। यहां बना पुराना आवास क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस कारण नया आवास बनाया जा रहा है। बबूल के कुछ पेड़ काटकर हटाए गए हैं। एके मिश्रा, उपसंचालक, सतपुड़ा टाईगर रिजर्व
ईको पर्यटन केंद्र बनना प्रस्तावित
कलेक्ट्रेट के पीछे स्थित हर्बल पार्क में जहां बंगला बनाने के लिए पेड़ों की कटाई की जा रही है। उस स्थान पर तीन करोड़ रुपए की लागत से ईको पर्यटन केंद्र बनाया जाना पहले से ही प्रस्तावित है। इस योजना का शिलान्यास 10 नवंबर 2013 में चुनाव जीतने के बाद सरताज सिंह ने किया था। उक्त कार्यक्रम में होशंगाबाद के तत्कालीन नवनिर्वाचित विधायक डॉ सीतासरन शर्मा भी मौजूद थे।
योजना के अनुसार यहां सैलानियों के ठहरने के लिए चलित कॉटेज बनाए जाने हैं। नर्मदा किनारे एक पाथ-वे बनेगा। कैफेटेरिया, कांफ्रेंस हॉल सहित अन्य कार्य कराए जाएंगे। पूरे परिसर को सोलर गांव के रूप में विकसित किए जाने की बात उस वक्त श्री सिंह ने कही थी। यह काम ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा कराए जाने हैं। उन्होंने योजना का शिलान्यास भी किया था। कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक जी कृष्णमूर्ति भी मौजूद थे।श्री कृष्णमूर्ति ने बताया था कि बच्चों के मनोरंजन के लिए हर्बल पार्क में खेल के उपकरण भी लगाए जाएंगे। उक्त सभी कार्य पूरे हो जाने के बाद यहां सैलानियों का आना-जाना बढ़ जाएगा। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा।
पंचकर्म चिकित्सा इकाई बनेगी
श्री सिंह ने बताया था कि 34 एकड़ का यह परिसर पर्यटक गतिविधियों को विकसित करने के लिए काफी उपयुक्त है। यहां पंचकर्म चिकित्सा इकाई भी स्थापित की जाएगी। उन्होंने अपने वन मंत्री के कार्यकाल के दौरान प्रदेश के रीवा, दौलतपुर, पूर्वा वाटर फॉल और बीहर नदी के तट पर कराए गए विकास कार्यों का भी जिक्र किया था। अब यहां निवास बनाए जाने की नई योजना से लगता है कि पिछली योजना ठंडे बस्ते में चली गई।
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