Monday, 4 August 2014

Face twisted bilaspur station after 10 hours of continuous rain

10 घंटे की लगातार बारिश ने रविवार को जोनल स्टेशन की व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। यहां शेड में कई छेद हैं, जहां से बरसाती पानी दिनभर टपकता रहा। कटनी गेट के नजदीक सीढी के पास शेड का पानी पाइप सहारे सीधे प्लेटफार्म में ही बहता नजर आया। इतनी अव्यवस्था के बाद भी रेल प्रशासन खामोश बैठा रहा। इस अव्यवस्था के चलते दिनभर यात्री परेशान होते रहे।

रविवार सुबह से ही तेज बारिश हो रही थी। करीब 10 घंटे की इस बारिश का प्रभाव जोनल स्टेशन पर पड़ने के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। प्लेटफार्म नंबर-1 की बात करे, तो इस लंबे प्लेटफार्म के शेड पर अभी भी कई छेद हैं, जिससे बरसाती पानी टपकते रहता है। यहां यह बताना लाजिमी है कि वीआईपी गेट के सामने कुछ महीने पहले ही पुराने शेड बदलकर नए लगाए गए हैं। बरसाती सीजन की तैयारी थी, ताकि यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो। लेकिन रेल प्रशासन की यह व्यवस्था काम नहीं आई।

चलित सीढ़ी के पास आरपीएफ सीआईबी कार्यालय के बाजू में शेड ही नहीं लगाया गया। इसके कारण बरसाती पानी प्लेटफार्म में गिरता रहा। सबसे बड़ी अव्यवस्था कटनी गेट की चलित सीढ़ी के पास नजर आई। यहां दो शेड के बीच इतनी जगह है कि उसका पानी झरने की तरह प्लेटफार्म में गिरता रहा। इसके अलावा सीढ़ी के ठीक किनारे लगी पाइप से बरसाती पानी प्लेटफार्म में गिर रहा था। जबकि पाइप जोड़कर इस पानी को सीधे पटरी पर गिराया जा सकता है। सीढ़ी चढ़ने के बाद जब प्लेटफार्म नंबर-2 में उतरते ही वहां बारिश का पानी जमा हुआ था। कटनी गेट पर भी हाल ही में शेड लगाए गए हैं।

करंट का खतरा

प्लेटफार्म 2 की सीढ़ी के पास शेड का पानी सीधे बिजली के तार व बोर्ड में गिर रहा था। यहां पर रेलवे प्रशासन की ओर से करंट से बचाव की चेतावनी भी लिखी गई है। यह स्थिति किसी खतरे से कम नहीं है। भूल से भी कोई यात्री इसके संपर्क में आ गया तो उसकी जान पर बन सकती है।

पटरी के किनारे की नाली जाम

बारिश के कारण पटरी के किनारे की नाली भी जाम हो गई। किसी भी प्लेटफार्म की पटरी के किनारे की नालियां इस स्तर की नहीं बनी है कि उसका पानी बाहर निकल सके। स्टेशन प्रबंधन कई बार जाम नालियों की सफाई करा चुका है। इसके बाद भी पानी निकासी नहीं हो पाती है।

प्रतिदिन कंट्रोल के माध्यम से यात्री सुविधाओं से संबंधित समस्याओं की मॉनिटरिंग की जाती है। कमी पाए जाने पर उसे दूर भी किया जाता है। अगर प्लेटफार्म में पानी भरने की समस्या है तो इसे दूर किया जाएगा।

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