Monday, 4 August 2014

Failed twice becoming the third time rural transport policy

प्रदेश के गांव-गांव तक परिवहन सेवा उपलब्ध करवाने के लिए सरकार तीसरी बार नीति में बदलाव करने जा रही है। वर्ष 2010 में बनी ग्रामीण परिवहन नीति सही मायने में कागजों से बाहर ही नहीं आ पाई। इस नीति को मैदान में उतारने के लिए दो बार योजना बनाकर बस ऑपरेटरों को आमंत्रित भी किया गया, लेकिन किसी ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब तीसरी बार योजना को नए स्वरूप में मैदान में उतारने की कवायद की जा रही है इसे जल्द कैबिनेट में मंजूरी के लिए लाया जाएगा। सितंबर से पहले गांव-गांव तक छोटे वाहन दौड़ाने का लक्ष्य रखा गया है।

नई योजना के अनुसार अब गांव के युवकों को ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में लोन देकर छोटे सवारी वाहन दिलाए जाएंगे। इन वाहनों को गांव से शहर तक चलाने के लिए टैक्स फ्री रखा जाएगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन वाहनों में 7 से अधिक यात्री बैठाने पर प्रतिबंध होगा।

उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी बस आपरेटरों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन परमिट देने के साथ-साथ चिन्हित ग्रामीण रूटों पर प्रति सीट 120 के कर को घटाकर मात्र 20 रुपए किया गया था, इसके बावजूद किसी भी बस आपरेटर ने रुचि नहीं दिखाई।

अंटोनी जेसी डिसा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव परिवहन ने 2012 में ग्रामीण परिवहन नीति के असफल होने के कारण जानने के लिए जिला स्तर के परिवहन अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी। इसमें उन्होंने अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन करने के साथ प्रदेश के बस आपरेटरों से चर्चा करने को कहा था, लेकिन नतीजे सिफर ही रहे।

1600 ग्रामीण सड़कों पर दौड़ेंगे वाहन

मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क परिहवन योजना में शुरुआती दौर में 1600 ग्रामीण सड़कों पर छोटे सवारी वाहन दौड़ाए जाएंगे। प्रस्तावित योजना के अनुसार 15 किमी तक ग्रामीण सड़कों में साधारण सड़क शामिल हो तो वे भी ग्रामीण रूट की श्रेणी में आएंगे।

रोजगार भी मिलेगा

'ग्रामीण परिवहन योजना में कई खामियां थीं, यही वजह है कि वह चार साल में मैदान में नहीं उतर पाई। नई योजना से जल्द ही गांव-गांव में परिवहन सुविधा के साथ-साथ वहां के युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।" -भूपेंद्र सिंह, परिवहन मंत्री

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