भ्रष्टाचार के आरोप में एंटी करप्शन विंग के शिकंजे में फंसे सिंडिकेट बैंक के सीएमडी सुधीर कुमार जैन की नियुक्ति और कोल स्कैम में फंसी दो कंपनियों को पहुंचाई जाने वाली वित्तीय सहायता फिक्स थी। सीबीआई ने इस मामले में पिछले 6 माह के दौरान जो कॉल डिटेल जुटाई है, उसमें कई जगह जैन और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा भी मौजूद है।
सिंडिकेट बैंक के सीएमडी पद पर जैन की नियुक्ति जुलाई 2013 में की गई थी। उनकी नियुक्ति के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार के एक मंत्री की ओर से अनुशंसा किए जाने की बात भी सामने आई है।
जैन को अगले पांच साल तक सीएमडी का पद संभालना था और इस दौरान कोल घोटाले में फंसी कंपनियों को आर्थिक घाटे से उबारने के लिए क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का जिम्मा जैन के पास था। सूत्रों के अनुसार नियमों को ताक पर रखकर जैन ने इन कंपनियों की क्रेडिट लिमिट को 100 करोड़ रुपए तक बढ़ा भी दिया था, जिसकी एवज में उन्हें 50 लाख रुपए मिलने वाले थे।
रिश्वत की रकम ठिकाने लगाने के दौरान जैन और उनके दो साले विनीत गोधा एवं पुनीत गोधा को विजय पाहूजा नामक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई प्रवक्ता धारणी मिश्रा के मुताबिक कॉल डिटेल में ऐसी कई जानकारियां सामने आने के बाद ही जैन और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई है। फोन डिटेल्स से वित्त मंत्रालय के कई अफसरों के जैन के संपर्क में रहने की पुष्टि हुई है।
दिल्ली-बेंगलुरु के व्यापारियों की तलाश
कोल घोटाले में फंसी बेंगलुरु की भूषण स्टील और दिल्ली की प्रकाश इंडस्ट्रीज वो दो कंपनियां हैं जिन्हें सीएमडी जैन ने फायदा पहुंचाया था। सीबीआई को इन कंपनियों के मालिक नीरज सिंघई, वेद प्रकाश अग्रवाल और विपुल अग्रवाल की तलाश है। जैन की नियुक्ति में रिमांड पर चल रहे गोधा ब्रदर्स की भूमिका की भी तलाश की जा रही है।
दिखा कार्रवाई का असर
जैन की गिरफ्तारी के ठीक दूसरे दिन रविवार होने के बावजूद कई नामी प्रायवेट वित्तीय संस्थानों के सीएमडी एमपी-छत्तीसगढ़ सर्किल हेड और ब्रांच मैनेजरों की बैठक लेने भोपाल पहुंचे। इस दौरान हाई प्रोफाईल बैंक कस्टमर के खातों के बैलेंस, लोन और उन्हें दी जा रही क्रेडिट लिमिट पर विस्तार से चर्चा की गई।
सिंडिकेट बैंक के सीएमडी पद पर जैन की नियुक्ति जुलाई 2013 में की गई थी। उनकी नियुक्ति के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार के एक मंत्री की ओर से अनुशंसा किए जाने की बात भी सामने आई है।
जैन को अगले पांच साल तक सीएमडी का पद संभालना था और इस दौरान कोल घोटाले में फंसी कंपनियों को आर्थिक घाटे से उबारने के लिए क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का जिम्मा जैन के पास था। सूत्रों के अनुसार नियमों को ताक पर रखकर जैन ने इन कंपनियों की क्रेडिट लिमिट को 100 करोड़ रुपए तक बढ़ा भी दिया था, जिसकी एवज में उन्हें 50 लाख रुपए मिलने वाले थे।
रिश्वत की रकम ठिकाने लगाने के दौरान जैन और उनके दो साले विनीत गोधा एवं पुनीत गोधा को विजय पाहूजा नामक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई प्रवक्ता धारणी मिश्रा के मुताबिक कॉल डिटेल में ऐसी कई जानकारियां सामने आने के बाद ही जैन और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी हुई है। फोन डिटेल्स से वित्त मंत्रालय के कई अफसरों के जैन के संपर्क में रहने की पुष्टि हुई है।
दिल्ली-बेंगलुरु के व्यापारियों की तलाश
कोल घोटाले में फंसी बेंगलुरु की भूषण स्टील और दिल्ली की प्रकाश इंडस्ट्रीज वो दो कंपनियां हैं जिन्हें सीएमडी जैन ने फायदा पहुंचाया था। सीबीआई को इन कंपनियों के मालिक नीरज सिंघई, वेद प्रकाश अग्रवाल और विपुल अग्रवाल की तलाश है। जैन की नियुक्ति में रिमांड पर चल रहे गोधा ब्रदर्स की भूमिका की भी तलाश की जा रही है।
दिखा कार्रवाई का असर
जैन की गिरफ्तारी के ठीक दूसरे दिन रविवार होने के बावजूद कई नामी प्रायवेट वित्तीय संस्थानों के सीएमडी एमपी-छत्तीसगढ़ सर्किल हेड और ब्रांच मैनेजरों की बैठक लेने भोपाल पहुंचे। इस दौरान हाई प्रोफाईल बैंक कस्टमर के खातों के बैलेंस, लोन और उन्हें दी जा रही क्रेडिट लिमिट पर विस्तार से चर्चा की गई।
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