पीएससी ने कट ऑफ मार्क्स के एक मामले में महिला आयोग व सरकार को अलग-अलग जानकारी दी है। पीएससी का कहना है सरकार को दिया गया जवाब सही है। रतलाम की सुनीता जैन को साक्षात्कार के लिए न बुलाए जाने के मुद्दे पर पीएससी ने महिला आयोग को जवाब दिया कि 5 अगस्त 2011 के बाद कोई ऐसा प्रकरण नहीं है, जिसमें महिलाओं के कट ऑफ मार्क्स पुरुषों से ज्यादा होने के बाद भी साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया गया। इसमें कोई विसंगति नहीं है।
सरकार को इसी सवाल के जवाब में बताया गया कि पीएससी ने 19 जून 2012 को नियम में परिवर्तन कर दिया है अब इस तरह की कोई विसंगति नहीं है। उधर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष उपमा राय का कहना है कि पीएससी ने हमें जो जवाब दिया था उसके मुताबिक 5 अगस्त 2011 को नियमों में बदलाव किया गया।
हमने जो अनुशंसाए की थी उसे सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है। वहीं पीएससी के सचिव मनोहर दुबे का कहना है कि पीएससी के नियमों में बदलाव 19 जून 2012 से किया गया। महिला आयोग को जो जवाब दिया गया उसका आशय यह निकाला जाना चाहिए कि बगैर नियम बदले भी कोई विसंगति नहीं थी।
सरकार को इसी सवाल के जवाब में बताया गया कि पीएससी ने 19 जून 2012 को नियम में परिवर्तन कर दिया है अब इस तरह की कोई विसंगति नहीं है। उधर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष उपमा राय का कहना है कि पीएससी ने हमें जो जवाब दिया था उसके मुताबिक 5 अगस्त 2011 को नियमों में बदलाव किया गया।
हमने जो अनुशंसाए की थी उसे सरकार ने अभी तक लागू नहीं किया है। वहीं पीएससी के सचिव मनोहर दुबे का कहना है कि पीएससी के नियमों में बदलाव 19 जून 2012 से किया गया। महिला आयोग को जो जवाब दिया गया उसका आशय यह निकाला जाना चाहिए कि बगैर नियम बदले भी कोई विसंगति नहीं थी।
Source: MP Hindi News & Chhattisgarh Hindi News
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