Wednesday, 6 August 2014

Nonclinical subjects disillusioned doctors 55 seats vacant

प्रदेश में नॉन क्लीनिकल विषयों से डॉक्टरों का मोहभंग हो रहा है। हालत यह है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी इन विषयों की पीजी सीटें नहीं भर पाई हैं। निजी मेडिकल कॉलेजों में भी इन विषयों में सरकारी कोटे की सीटों पर दाखिले कम हुए हुए हैं।

दो अगस्त को खत्म हुई स्नातकोत्तर (पीजी) की आखिरी चरण की काउंसिलिंग के बाद सरकारी और निजी मिलाकर स्टेट कोटे की 55 सीटें खाली रह गई हैं। इनमें सात डिप्लोमा और बॉकी डिग्री की सीटें हैं। ये सभी सीटें नान क्लीनिकल विषयों की हैं।

प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इन विषयों में पीजी कोर्स संचालित हो रहे हैं। एक तो पहले से ही इन विषयों में सीटेें क्लीनिकल विषयों की तुलना में लगभग अाधी या उससे कम हैं। ऊपर से दाखिला नहीं होने से कॉलेजों में इन विषयों में फैक्ल्टी की कमी पड़ सकती हैं। प्रदेश में सात नए सरकार मेडिकल कॉलेज एक-दो साल के भीतर खुलने जा रहे हैं। नान क्लीनिकल विषयों में विद्यार्थियों का रुचि कम होने के कारण शिक्षकों के पदों को भर पाना मुश्किल होगा।

संयुक्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनएम श्रीवास्तव ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डिग्री की 14 और डिप्लोमा (डीएलओ) की 7 सीटें नहीं भर पाई हैं। उन्होंने बताया कि प्राइवेट डेंटल कॉलेजों में स्टेट कोटे की एमडीएस की 23 सीटें खाली रह गई हैं। खाली सीटों में सबसे ज्यादा एनाटमी, फिजियोलॉजी और फोरेंसिक मेडिसिन की हैं।

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