क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश का असर विद्युत संयंत्रों में पड़ने लगा है। कोयला गीला होने व संकट की स्थिति की निर्मित होने से पूर्व संयंत्र की 5 इकाइयां बंद करनी पड़ गई है, जबकि एचटीपीपी एवं डीएसपीएम टीपीपी की इकाइयों का उत्पादन भी गिरा है। बारिश से कोयला खदानों में भी उत्पादन प्रभावित हुआ है।
क्षेत्र में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश का असर अब होने लगा है। कोयला गीला होने की वजह से संयंत्रों के परिचालन में भी समस्या उठ खड़ी हुई है। कोयला संकट पहले से झेल रही विद्युत कंपनियों के समक्ष विषम परिस्थिति निर्मित हो गई है। 440 मेगावाट पूर्व संयंत्र पर इसका जबरदस्त असर पड़ा है।
संयंत्र के समक्ष पहले से कोयला संकट की स्थिति बनी हुई थी और वर्तमान में जो कोयला था, वह भी बारिश की वजह से गीला हो गया है। जो कोयला मिल रहा है उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब है। इससे संयंत्र की इकाइयों में डाला जा रहा कोयला जाम होने लगा है। इस वजह से पूर्व संयंत्र की 50 मेगावाट की 3 तथा 120 मेगावाट की एक इकाई को बंद करना पड़ गया है। 50 मेगावाट की एक इकाई तकनीकी खराबी की वजह से पहले से बंद है। इस तरह संयंत्र की 5 इकाइयां बंद हो गई है।
120 मेगावाट की 6 नंबर इकाई से मात्र 50 मेगावाट ही बिजली उत्पन्न हो रही है। उधर एचटीपीपी की इकाइयों से भी उत्पादन कम हो गया है। 210 मेगावाट की तीन इकाइयों से 170 से 180 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है, जबकि 500 मेगावाट की विस्तार इकाई से 400 मेगावाट बिजली उत्पादन की जा रही है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह की दोनों इकाइयों का उत्पादन घटकर 150-158 मेगावाट हो गया है।
इस तरह 500 मेगावाट के इस संयंत्र से 308 मेगावाट बिजली बन रही है। बारिश का असर कोयला खदानों पर पड़ा है। ओपन कास्ट खदान गेवरा, दीपका कुसमुंडा के उत्पादन में 50 फीसदी गिरावट आ गई है, जबकि मानिकपुर ओपनकास्ट खदान में तीन दिनों से कोयला उत्पादन नहीं हो पा रहा है। मानिकपुर खदान से ही कोरबा पूर्व संयंत्र को कोयला आपूर्ति की जाती है। स्टाक कोयला पूर्व संयंत्र को दिया जा रहा है, लेकिन उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब है।
इनका कहना है
कोयला गीला व खराब होने की वजह से इकाइयों के परिचालन में काफी मुश्किल हो रहा है। इकाइयों में कोयला जाम हो रहा है। ऑयल डालकर चलाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन खर्च अधिक हो रहा है और इकाई परिचालन में दिक्कत भी हो रही है, इसलिए इकाइयों को बंद करना पड़ा है।
- एसके बंजारा, मुख्य अभियंता, कोरबा पूर्व संयंत्र
क्षेत्र में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश का असर अब होने लगा है। कोयला गीला होने की वजह से संयंत्रों के परिचालन में भी समस्या उठ खड़ी हुई है। कोयला संकट पहले से झेल रही विद्युत कंपनियों के समक्ष विषम परिस्थिति निर्मित हो गई है। 440 मेगावाट पूर्व संयंत्र पर इसका जबरदस्त असर पड़ा है।
संयंत्र के समक्ष पहले से कोयला संकट की स्थिति बनी हुई थी और वर्तमान में जो कोयला था, वह भी बारिश की वजह से गीला हो गया है। जो कोयला मिल रहा है उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब है। इससे संयंत्र की इकाइयों में डाला जा रहा कोयला जाम होने लगा है। इस वजह से पूर्व संयंत्र की 50 मेगावाट की 3 तथा 120 मेगावाट की एक इकाई को बंद करना पड़ गया है। 50 मेगावाट की एक इकाई तकनीकी खराबी की वजह से पहले से बंद है। इस तरह संयंत्र की 5 इकाइयां बंद हो गई है।
120 मेगावाट की 6 नंबर इकाई से मात्र 50 मेगावाट ही बिजली उत्पन्न हो रही है। उधर एचटीपीपी की इकाइयों से भी उत्पादन कम हो गया है। 210 मेगावाट की तीन इकाइयों से 170 से 180 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है, जबकि 500 मेगावाट की विस्तार इकाई से 400 मेगावाट बिजली उत्पादन की जा रही है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह की दोनों इकाइयों का उत्पादन घटकर 150-158 मेगावाट हो गया है।
इस तरह 500 मेगावाट के इस संयंत्र से 308 मेगावाट बिजली बन रही है। बारिश का असर कोयला खदानों पर पड़ा है। ओपन कास्ट खदान गेवरा, दीपका कुसमुंडा के उत्पादन में 50 फीसदी गिरावट आ गई है, जबकि मानिकपुर ओपनकास्ट खदान में तीन दिनों से कोयला उत्पादन नहीं हो पा रहा है। मानिकपुर खदान से ही कोरबा पूर्व संयंत्र को कोयला आपूर्ति की जाती है। स्टाक कोयला पूर्व संयंत्र को दिया जा रहा है, लेकिन उसकी गुणवत्ता भी काफी खराब है।
इनका कहना है
कोयला गीला व खराब होने की वजह से इकाइयों के परिचालन में काफी मुश्किल हो रहा है। इकाइयों में कोयला जाम हो रहा है। ऑयल डालकर चलाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन खर्च अधिक हो रहा है और इकाई परिचालन में दिक्कत भी हो रही है, इसलिए इकाइयों को बंद करना पड़ा है।
- एसके बंजारा, मुख्य अभियंता, कोरबा पूर्व संयंत्र
Source: Chhattisgarh Hindi News & MP Hindi News
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