मुंबई-हावड़ा मेल को बम से उड़ाने की धमकी देने वाले आरोपी के खिलाफ आखिरकार जीआरपी ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। एक माह बाद मामले में रिपोर्ट दर्ज होने से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। 30 जून को किसी ने रेलवे बोर्ड के कंट्रोल रूम को सूचना देकर मुंबई से हावड़ा जाने वाली मेल एक्सप्रेस को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। इसके बाद जोन को अलर्ट कर कर दिया गया था। बोर्ड की सूचना के बाद यहां हड़कंप मच गया। देखते ही देखते बम की सूचना आग की तरह फैल गई।
जोन व डिवीजन के वरिष्ठ अफसरों को चेंबर छोड़कर स्टेशन आना पड़ा। ट्रेन अपने निर्धारित समय से 10 मिनट विलंब से शाम 6.10 बजे जैसे ही बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंची बम व डॉग स्क्वॉयड के अलावा जीआरपी व आरपीएफ स्टॉफ बम की तलाश में जुट गए। पूरी ट्रेन की जांच में डेढ़ घंटे का समय लग गया। तब तक ट्रेन स्टेशन में खड़ी रही। हालांकि जांच में कुछ भी नहीं मिला। बाद में माजरा समझ में आ गया कि बम की सूचना महज अफवाह थी।
ट्रेन के परिचालन में बांधा डालते हुए इस तरह का माहौल बनाना गंभीर अपराध है। लिहाजा घटना के दूसरे दिन ही इस मामले में धमकी देने वाले आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज होनी थी, लेकिन हमेशा की तरह आरपीएफ व जीआरपी के बीच एफआईआर कौन करेगा इसे लेकर खींचातानी शुरू हो गई। आरपीएफ पोस्ट मेमो जीआरपी को देने की बात कहकर पल्ला झाड़ता रहा, तो जीआरपी मेमो नहीं मिलने की बात कहकर इस मामले से दूरी बनाए रखी।
महीनों की खींचतान के बाद आखिरकार जीआरपी को ही इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी। जीआरपी थाने के मुताबिक आरपीएफ से बाद में मेमो मिला है। इसके बाद उसकी जांच की गई। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरोपी के खिलाफ धारा 507 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है।
फोन लगने पर दुर्व्यवहार
ट्रेन में बम होने की धमकी 9074262325 नंबर से दी गई थी। इस नंबर पर तत्कालीन आरपीएफ पोस्ट प्रभारी केबी तिवारी ने बात करने की कोशिश की, तब उस व्यक्ति ने पोस्ट प्रभारी से ही गाली-गालौज किया। उसने कहा कि जांच तो शुरू हो गई है लेकिन बहुत जल्द धमाका होगा। इससे इस बात की पुष्टि भी हो गई कि धमकी देने वाला इसी ट्रेन में है। यदि उसी दिन आरपीएफ, जीआरपी व रेल प्रशासन इस मामले को लेकर सक्रियता बरतते तो वह ट्रेन में पकड़ा जाता है।
घटना के समय मेरी पदस्थापना जीआरपी थाने में नहीं हुई थी। लिहाजा मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन अब आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। लिहाजा जल्द ही आरोपी पकड़ में आ जाएगा।
केडी प्रभाकर, थाना प्रभारी जीआरपी बिलासपुर
जोन व डिवीजन के वरिष्ठ अफसरों को चेंबर छोड़कर स्टेशन आना पड़ा। ट्रेन अपने निर्धारित समय से 10 मिनट विलंब से शाम 6.10 बजे जैसे ही बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंची बम व डॉग स्क्वॉयड के अलावा जीआरपी व आरपीएफ स्टॉफ बम की तलाश में जुट गए। पूरी ट्रेन की जांच में डेढ़ घंटे का समय लग गया। तब तक ट्रेन स्टेशन में खड़ी रही। हालांकि जांच में कुछ भी नहीं मिला। बाद में माजरा समझ में आ गया कि बम की सूचना महज अफवाह थी।
ट्रेन के परिचालन में बांधा डालते हुए इस तरह का माहौल बनाना गंभीर अपराध है। लिहाजा घटना के दूसरे दिन ही इस मामले में धमकी देने वाले आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज होनी थी, लेकिन हमेशा की तरह आरपीएफ व जीआरपी के बीच एफआईआर कौन करेगा इसे लेकर खींचातानी शुरू हो गई। आरपीएफ पोस्ट मेमो जीआरपी को देने की बात कहकर पल्ला झाड़ता रहा, तो जीआरपी मेमो नहीं मिलने की बात कहकर इस मामले से दूरी बनाए रखी।
महीनों की खींचतान के बाद आखिरकार जीआरपी को ही इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करनी पड़ी। जीआरपी थाने के मुताबिक आरपीएफ से बाद में मेमो मिला है। इसके बाद उसकी जांच की गई। जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरोपी के खिलाफ धारा 507 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है।
फोन लगने पर दुर्व्यवहार
ट्रेन में बम होने की धमकी 9074262325 नंबर से दी गई थी। इस नंबर पर तत्कालीन आरपीएफ पोस्ट प्रभारी केबी तिवारी ने बात करने की कोशिश की, तब उस व्यक्ति ने पोस्ट प्रभारी से ही गाली-गालौज किया। उसने कहा कि जांच तो शुरू हो गई है लेकिन बहुत जल्द धमाका होगा। इससे इस बात की पुष्टि भी हो गई कि धमकी देने वाला इसी ट्रेन में है। यदि उसी दिन आरपीएफ, जीआरपी व रेल प्रशासन इस मामले को लेकर सक्रियता बरतते तो वह ट्रेन में पकड़ा जाता है।
घटना के समय मेरी पदस्थापना जीआरपी थाने में नहीं हुई थी। लिहाजा मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन अब आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। लिहाजा जल्द ही आरोपी पकड़ में आ जाएगा।
केडी प्रभाकर, थाना प्रभारी जीआरपी बिलासपुर
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