बगदरी फॉल से शव निकालने का कार्य मंगलवार सुबह फिर शुरू हो गया। राहत और पुलिस बल की टीम ने देररात तक आठ शव को निकाल लिया था। तीन शव की तलाश सुबह से शुरू हो गई। जिले के पाटन के पास बगदरी फॉल में सोमवार दोपहर जबलपुर के ठक्कर वार्ड के चार परिवार के 13 लोग पानी के तेज बहाव में बह गए थे। इनमें से एक युवती की जान पहाड़ से टकराने से बच गई थी।
जबकि किनारे से फिसले एक 13 वर्षीय बालक को इनके चालक ने बचा लिया था। तेज बहाव के कारण 11 लोग फॉल में गिर गए थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कर दिया था। रात 10 बजे तक चले ऑपरेशन में आठ लोगों के शव निकाले जा चुके थे। एक महिला के साथ 15 वर्षीय किशोरी और पांच साल के एक बच्चे का पता नहीं चला था, जिनकी तलाश मंगलवार को सुबह से शुरू हो गई।
तिनके की तरह बहते जा रहे थे वो... मैं कुछ नहीं कर सका
घटना के चश्मदीद 50 वर्षीय अब्दुल खालिद ने बताया कि मैं भी अपने परिवार के साथ फॉल पर था, लेकिन हम सभी नाले के उस पार नहीं गए थे। अचानक पानी का बहाव तेज हुआ तो मैंने पत्थर से रस्सी बांधकर उसी के सहारे सभी को इस पार लाने की कोशिश की।
मेरे साथ आए लोग उस पार से एक दूसरे के पीछे रस्सी पकड़कर किनारे आने की कोशिश कर रहे थे। एक बार फिर पानी का बहाव तेज हो गया। सभी ने एक दूसरे का हाथ और मजबूती से पकड़ा। करीब डेढ़ घंटे तक वे लहरों के सामने खुद को जमाए रखने की कोशिश करते रहे।
लेकिन तेज बहाव के सामने लंबे समय तक नहीं टिक सके। लहरों की चोट से हाथों की पकड़ ढीली हो रही थी। फिर एक-एक कर सभी के साथ छूटने लगे और तिनके की तरह सभी पानी में गिरते चले गए।
जबकि किनारे से फिसले एक 13 वर्षीय बालक को इनके चालक ने बचा लिया था। तेज बहाव के कारण 11 लोग फॉल में गिर गए थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे और बचाव कार्य शुरू कर दिया था। रात 10 बजे तक चले ऑपरेशन में आठ लोगों के शव निकाले जा चुके थे। एक महिला के साथ 15 वर्षीय किशोरी और पांच साल के एक बच्चे का पता नहीं चला था, जिनकी तलाश मंगलवार को सुबह से शुरू हो गई।
तिनके की तरह बहते जा रहे थे वो... मैं कुछ नहीं कर सका
घटना के चश्मदीद 50 वर्षीय अब्दुल खालिद ने बताया कि मैं भी अपने परिवार के साथ फॉल पर था, लेकिन हम सभी नाले के उस पार नहीं गए थे। अचानक पानी का बहाव तेज हुआ तो मैंने पत्थर से रस्सी बांधकर उसी के सहारे सभी को इस पार लाने की कोशिश की।
मेरे साथ आए लोग उस पार से एक दूसरे के पीछे रस्सी पकड़कर किनारे आने की कोशिश कर रहे थे। एक बार फिर पानी का बहाव तेज हो गया। सभी ने एक दूसरे का हाथ और मजबूती से पकड़ा। करीब डेढ़ घंटे तक वे लहरों के सामने खुद को जमाए रखने की कोशिश करते रहे।
लेकिन तेज बहाव के सामने लंबे समय तक नहीं टिक सके। लहरों की चोट से हाथों की पकड़ ढीली हो रही थी। फिर एक-एक कर सभी के साथ छूटने लगे और तिनके की तरह सभी पानी में गिरते चले गए।
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