Monday, 4 August 2014

Snake pair at rupees 2100 will you purchase

छत्‍तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सांपों की खरीद-फरोख्त का खेल चल रहा है। इस खेल में सपेरों की बड़ी भूमिका है। ये जंगलों से सांपों को पकड़ते हैं, उनका विष निकालते हैं। अधिक मात्रा में विष इकठ्ठा हो जाने पर सांपों को या तो करतब दिखाने के लिए रख लिया जाता है या फिर बेच देते हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग सांपों और उनके जोड़े यानी नाग-नागिन को खरीदते हैं, फिर उन्हें छोड़ देते हैं, इस मान्यता के चलते कि ऐसा करने से घर की कलह और दोषों से मुक्ति मिलती है।

'नईदुनिया' ने ऐसे ही कुछ सपेरों को खोजा और फिर उनसे सांप खरीदने की बात की तो शुरू हो गई इनकी सौदेबाजी। मोल-भाव के बाद 21सौ रुपए में बात पक्की हुई। इसी दौरान इन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए, जो इस कारोबार की परतें खोलती हैं।

ऐसे हुआ खुलासा-

महादेवघाट में पड़ताल के दौरान 'नईदुनिया' को दो सपेरे मिले। दोनों ने खुद को उज्जैन का बताया। इसी वक्त एक व्यक्ति इनके पास पहुंचा और उससे नाग-नागिन के जोड़े के बारे में पूछा। सपेरे भूतनाथ और फागूनाथ ने कहा कि उनके पास जोड़ा है, चाहिए तो 5 हजार रुपए लगेंगे। सौदेबाजी करते-करते ये 3 हजार तक जा पहुंचे। तभी व्यक्ति जाने लगा, भूतनाथ ने कहा कि 21 रुपए अंतिम है। 21 सौ रुपए में सौदा हो गया।

इसके बाद 'नईदुनिया' ने इनसे बात की, इन्होंने बताया कि इन नाग-नागिन को चार दिन पहले ही उन्होंने पकड़ा, बोले- आपको भी अगर अपने घर के दोष दूर करने हैं तो नाग-नागिन का जोड़ा भगवान शिव का नाम लेकर छोड़ दो, कलह कट जाएगी। इन्होंने खुद ही दावा किया कि वे हर साल सैकड़ों सांप पकड़ते हैं, उनका विष निकालते हैं और इसी तरह बेचते रहते हैं। जानकारों का मानना है कि विष का इस्तेमाल बड़ी संख्या में मेडिकल में होता है। कई बीमारियों की दवा बनाने में भी।

सांपों पर यातनाओं की सीमा नहीं-

सपेरों को उन सांपों की तलाश होती है, जिनका फन ऊंचा होता है जैसे कोबरा, रसल वाइपर, ताकि इनसे सांपों से न सिर्फ उन्हें विष मिल जाए, बल्कि वे इनका इस्तेमाल अन्य दूसरे कामों में भी कर सकें। 'नईदुनिया' को एक सर्प विशेषज्ञ ने बताया कि सांपों को पकड़ते ही उनके विष के दांत तोड़ दिए जाते हैं और यहीं से शुरू होती हैं सांपों पर यातनाएं।

अगर सांप काबू में आ गया तो ठीक, नहीं तो उस पर डंडे से तब तक हमले किए जाते हैं, जब तक वह घायल नहीं हो जाता। दांत तोड़ने के बाद उसे जंगल से दूर ले जाकर उसकी विष ग्रंथि को लोहे की गर्म राड से जला दिया जाता है, ताकि दोबारा विष पैदा न हो सके। जंगलों में रहने वाले इस सरिसृप को पिटारों में विपरीत परिस्थितियों में रखा जाता है। कई जगह तो उसे मारकर उसकी चमड़ी का इस्तेमाल कर पर्स, बैग, जूते तक बनाए जाने की सूचनाएं हैं।

घायल कोबरा से दिखा रहे करतब-

महादेवघाट में एक सपेरा कोबरा से करतब दिखा रहा था, पूछे जाने पर उसने अपना नाम नहीं बताया, लेकिन कोबरा बुरी तरह से जख्मी था, उसे कई जगह चोट लगी थी। पूछे जाने पर सपेरे ने कहा कि वे इसे जंगल से पकड़कर लाए हैं, सांपों के साथ करतब दिखाकर रोजी-रोटी कमाना उनका पुस्तैनी धंधा है। इससे ही उनका घर चलता है। जब पूछा गया कि कोबरा को चोट कहां लगी तो उन्होंने बताया-पकड़ते वक्त। और फिर वह बीन बजाकर करतब दिखाने में जुट गया। वन विभाग के ही एक अफसर ने कहा कि सपेरे सामान्य सांप पकड़ेंगे तो वह फन नहीं फैलाएगा, सपेरों को तो बड़ा सांप चाहिए जैसे कोबरा, जो फन फैलाए तभी तो उन्हें जनता पैसा देगी।

काबू में करने के लिए चोट पहुंचाते हैं

मैंने अभी सांप पकड़ते हुए यह भी देखा कि एक सपेरा कोबरा को पकड़कर करतब दिखा रहा था, कोबरा बुरी तरह से जख्मी था। मैंने खुद इसकी सूचना वन विभाग को दी थी। ऐसा होता है, किसी वन्य प्राणी को पकड़ने के लिए शिकारी उसे चोट पहुंचते हैं। घायल कर काबू में करते हैं और उसके दांत और विष को निकाल देते हैं।

-मोइज अहमद, सचिव, नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी

कार्रवाई करते हैं

किसी भी वन्य जीव को पकड़ना नियमों का उल्लंघन है, लेकिन सपेरे वर्षों से ऐसा करते आ रहे हैं, फिर भी वन विभाग लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई करता है।

-रामप्रकाश, पीसीसीएफ, वन विभाग

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