छत्तीसगढ़ में आत्म-समर्पण करने वाले नक्सलियों के छोटे मामलों को समाप्त कर दिया जाएगा। पुलिस थाने में दर्ज गंभीर मामलों में अगर नक्सली के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज है तो उसका मामला अदालत में चलेगा। प्रदेश में पिछले तीन महीने में 110 नक्सलियों ने आत्म-समर्पण किया है। इसमें सबसे ज्यादा कोंडागांव और नारायणपुर जिले के नक्सली शामिल हैं।
मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार सहानुभूति की नजर से देख रही है। एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज है तो उसके द्वारा नक्सली उन्मूलन में दिए गए सहयोग को देखते हुए आपराधिक प्रकरण को समाप्त करने शासन विचार करता है।
छत्तीसगढ़ की नक्सली पुनर्वास नीति में भी इसका प्रावधान किया गया है। केंद्र की पुनर्वास नीति में भी आत्म-समर्पण करने वाले नक्सलियों के मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार का प्रावधान है। एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज ने बताया कि कई मामलों में नक्सलियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है।
इसे देखते हुए नक्सलियों को लाभ मिल जाता है। छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले छोटे कैडर के खिलाफ बहुत कम मामलों में थानों में रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है। बताया जा रहा है कि नक्सलियों की शिनाख्त नहीं होने का लाभ भी मिलता है।
फिर नक्सलियों से किया संपर्क तो संपत्ति होगी कुर्क
छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति में यह प्रावधान किया गया है कि अगर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली फिर से नक्सलियों के संपर्क में आते हैं तो उनकी संपत्ति को कुर्क कर दिया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन और जिला पुलिस को अनुशंसा करनी होती है। यही नहीं, नक्सलियों का परिवार अगर अपनी जमीन के बदले किसी अन्य स्थान पर जमीन की मांग करता है तो उस पर भी शासन विचार करती है। उसकी जमीन की कीमत के बदले किसी अन्य स्थान पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।
मुख्यधारा में शामिल होने वाले नक्सलियों को राज्य सरकार सहानुभूति की नजर से देख रही है। एडीजी नक्सल आपरेशन आरके विज ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई मामला दर्ज है तो उसके द्वारा नक्सली उन्मूलन में दिए गए सहयोग को देखते हुए आपराधिक प्रकरण को समाप्त करने शासन विचार करता है।
छत्तीसगढ़ की नक्सली पुनर्वास नीति में भी इसका प्रावधान किया गया है। केंद्र की पुनर्वास नीति में भी आत्म-समर्पण करने वाले नक्सलियों के मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार का प्रावधान है। एडीजी नक्सल ऑपरेशन आरके विज ने बताया कि कई मामलों में नक्सलियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है।
इसे देखते हुए नक्सलियों को लाभ मिल जाता है। छत्तीसगढ़ में आत्मसमर्पण करने वाले छोटे कैडर के खिलाफ बहुत कम मामलों में थानों में रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है। बताया जा रहा है कि नक्सलियों की शिनाख्त नहीं होने का लाभ भी मिलता है।
फिर नक्सलियों से किया संपर्क तो संपत्ति होगी कुर्क
छत्तीसगढ़ की पुनर्वास नीति में यह प्रावधान किया गया है कि अगर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली फिर से नक्सलियों के संपर्क में आते हैं तो उनकी संपत्ति को कुर्क कर दिया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन और जिला पुलिस को अनुशंसा करनी होती है। यही नहीं, नक्सलियों का परिवार अगर अपनी जमीन के बदले किसी अन्य स्थान पर जमीन की मांग करता है तो उस पर भी शासन विचार करती है। उसकी जमीन की कीमत के बदले किसी अन्य स्थान पर जमीन उपलब्ध कराई जाएगी।
Source: Chhattisgarh Hindi News and MP Hindi News
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