Monday 21 July 2014

Bastar stones opened secrets of end of dinosaurs

छत्तीसगढ़ का बस्तर पृथ्वी पर डायनासोरों के लापता हो जाने की अबूझ परतों को खोलने की अनोखी प्रयोगशाला साबित हुआ है। हिंदुस्तान और जर्मनी के तीन वैज्ञानिकों ने बस्तर के बेहराडीह कोडीमाली क्षेत्र में पत्थरों में मौजूद प्लेटिनम के अंश से डायनासोरों के लापता होने के रहस्य को उजागर किया है।

दुनियाभर के वैज्ञानिक अभी तक मानते रहे हैं कि पृथ्वी से डायनासोरों का अस्तित्व खत्म होने की वजह विशाल ज्वालामुखी था, जिसके लावा ने उनकी प्रजाति को पूरी तरह से खत्म कर डाला। कुछ अन्य वैज्ञानिक पृथ्वी पर उल्का पिंड के गिरने को भी डायनासोरों की असमय समाप्ति की वजह बताते हैं लेकिन इसके पीछे अब तक कोई ठोस तर्क मौजूद नहीं था।

मगर इन भू-वैज्ञानिकों ने बस्तर के पत्थरों में प्लेटिनम की मात्रा से जुड़े परीक्षण के बाद निष्कर्ष निकाला है कि डायनासोरों के पृथ्वी से खात्मे की मूल वजह आज से 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अंतरिक्ष से गिरा वह उल्का पिंड था, जिसने मेक्सिको में चिक्सलब के्रटर का निर्माण किया था।

'नईदुनिया" ने भूगर्भ वैज्ञानिकों एनवी चलपति राव, बी. लेहमन और वी. बलराम की इस टीम से इस अदभुत खोज की परत दर परत जानने की कोशिश की।

महाविनाश की रात

करीब 6 करोड़ 60 हजार 38 हजार वर्ष पहले लगभग 10 किमी व्यास का एक उल्कापिंड मेक्सिको में पृथ्वी से आ टकराया। इसमें करीब 100 परमाणु बमों की ताकत थी। यह टक्कर लगभग 30 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी किसी जेट विमान से भी 150 गुना ज्यादा की थी। इससे समूची पृथ्वी पर महासुनामी आ गई। भूकम्प और ज्वालामुखी ने जमकर तबाही मचाई। सभी पेड़ पौधे और वनस्पतियों का अस्तित्व ख़त्म हो गया। खाद्य श्रृंखला छिन्न- भिन्न हो गई। मेक्सिको से भारत तक डायनासोर भी हर जगह समाप्त हो गए।

पत्थरों से बेपर्दा हुआ रहस्य

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ,राष्ट्रीय भू भौतिकी संस्थान, हैदराबाद और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ कास्टले, जर्मनी के यह वैज्ञानिक बताते हैं कि अगर ज्वालामुखी के सिद्धांत को मान लिया जाता तो हमें बस्तर में मिले पत्थरों में प्लेटिनम का प्रतिशत ज्यादा मिलता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बस्तर में मिले पत्थरों में प्लेटिनम का प्रतिशत बेहद कम है जो बताते हैं कि यहां उल्कापिंड ने पहले ही डायनासोर को हमेशा के लिए इस पृथ्वी से नेस्तानाबूद कर दिया था।

दुनिया में सबसे अलग हैं बस्तर स्टोन

टीम के लीडर एनवी चलपति राव ने 'नईदुनिया" को बताया कि बस्तर के किम्बरलाईट श्रेणी के पत्थर दुनिया के अन्य इलाकों में मौजूद पत्थरों से बेहद अलग हैं। यह डायनासोर के विलुप्त होने के काल के हैं। ये पत्थर जमीन की सबसे भीतरी सतह से निकल कर ऊपर आए हैं।

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