Friday 18 July 2014

If speaker will not resign we will bring no confidence motion

विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल एक बार फिर महादेव घाट में चरागन की जमीन पर कब्जे को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने इस मामले में उन पर निशाना साधा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल और नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि कूटरचना करके 0.46 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है और ट्रस्ट बनाकर मंदिर के साथ ही 19 दुकानें बना ली गई हैं। उन्होंने कहा कि दो दिन के भीतर पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं होगी तो विधानसभा सत्र में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है।

पत्रकार वार्ता में श्री बघेल और श्री सिंहदेव ने कहा कि महादेवघाट रायपुरा में शासकीय घास भूमि पर छगनलाल गोविंदराम अग्रवाल ट्रस्ट द्वारा अतिक्रमण कर 19 दुकानें, सत्संग भवन और मंदिर का निर्माण करा लिया। इसकी शिकायत संगवारी संस्था ने लोकायोग में की है।

इसम मामले में तहसीलदार रायपुर ने भू राजस्व संहिता 1959 के तहत ट्रस्ट पर 5 हजार का जुर्माना भी किया है। वहीं इस संबंध में कलेक्टर ने ट्रस्ट द्वारा अतिक्रमण नहीं हटाए जाने पर परिसंपत्ति को राजसात कर नगर निगम को सौंपने का आदेश 7 जून, 2014 को दिया है। लेकिन आदेश के तहत अब तक कार्रवाई नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि बिजली विभाग में भी गलत दस्तावेज देकर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष न्यासी गौरीशंकर अग्रवाल ने लाइन लिया है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि जब जमीन पर कब्जा किया जा रहा था, उस समय श्री अग्रवाल छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम के अध्यक्ष थे और उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए जमीन पर कब्जा किया है। कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह से इस मामले में श्री अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस दिखाने की चुनौती दी है। इस मौके पर प्रदेश महामंत्री गिरीश देवांगन, शैलेष नितिन त्रिवेदी, महेन्द्र छाबड़ा, आरपी सिंह, दौलत रोहड़ा मौजूद थे।

फैक्ट फाईल

- महादेवघाट रायपुर में 4 हेक्टेयर जमीन ।

- छगनलाल गोविंदराम अग्रवाल ट्रस्ट द्वारा अतिक्रमण ।

- कलेक्टर ने परिसंपत्ति जप्त कर राजसात करने का दिया आदेश ।

- मंदिर की दानपेटी और दुकानों पर ट्रस्ट का कब्जा ।

- अस्थायी विद्युत कनेक्शन ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल के नाम पर ।

- आवेदन के साथ वैध पट्टा नहीं दिया गया, जबकि विद्युत वितरण कंपनी के नियमों के अनुसार वैध पट्टा विधिक स्वामित्व के दस्तावेज के साथ आवेदन में देना अनिवार्य है।

- आवेदन में तारीख का उल्लेख नहीं, गवाह के हस्ताक्षर भी नहीं ।

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