Monday 14 July 2014

This time in four months will sawan monday

श्रावण मास में महादेव भक्तों पर विशेष कृपा करते हैं। इस समय वे संहारक और पालन दोनों भूमिकाओं में होते हैं। एक बिल्व पत्र से ही प्रसन्न होकर वे भक्तों मनचाहा वर देते हैं। इस वर्ष सावन में चार सोमवार ही होंगे।

भगवान शिव को संहार का देवता कहा गया है। वे सौम्य और रौद्र रूप दोनों के लिए विख्यात हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं। काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव को कल्याणकारी माना जाता है लेकिन वे हमेशा लय और प्रलय को अपने अधीन रखते हैं।

शिव के स्वरूप में परस्पर विरोधी तत्व भी देखने को मिलते हैं। वे आशुतोष हैं तो रुद्र भी हैं। उनके मस्तक पर शीतलता प्रदान करने वाला चंद्र है तो गले में भुजंग भी है। वे अर्धनारीश्वर हैं तो कामजित भी हैं। गृहस्थ हैं तो श्मशानवासी और वीतरागी भी हैं।

जहां वे हर तरह के द्वंद्व से मुक्त हैं तो सह-अस्तित्व के विचार के पोषक भी हैं। ऐसे दयालु और नियंता भगवान के पूजन का मास है श्रावण मास। 13 जुलाई से श्रावण मास के प्रारंभ होते ही श्रद्धालु शिवभक्ति में डूब जाएंगे।

श्रावण सोमवार शिवपूजा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त दिवस है। वैसे तो भोलेनाथ पूरे वर्ष ही अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं लेकिन श्रावण में वे जल्दी प्रसन्न होते हैं क्योंकि इस समय वे सृष्टि के पालक की भूमिका में होते हैं। सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु जब शयन में चले जाते हैं तो वे सृष्टि संचालन शिव से संचालित होता है। यही वजह है कि चातुर्मास का पहला महीना श्रावण शिव भक्ति के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।

श्रावण मास में शिव भक्ति का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। इसके संबंध में पौराणिक कथाओं में वर्णन आता है कि इसी मास में समुद्र मंथन किया गया था। समुद्र मथने से विष निकला और भगवान शिव ने उसे कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया।

विष के प्रभाव को कम करने के लिए समस्त देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया। इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का महत्व है। यही कारण है कि श्रावण मास में शिवजी को जल चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि नदियों से जल लेकर कावड़िए शिव मंदिरों तक की पदयात्रा करते हैं और शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। शिवपुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल हैं।

इस सृष्टि के समस्त जीवों के लिए जिस जल तत्व की प्रधानता है वह शिव ही हैं। श्रावण मास में भी सोमवार के दिन शिव पूजन सर्वथा शुभदायी माना जाता है। वर्णन है कि इस दिन शिवजी को एक बिल्व पत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।

इसलिए भक्तजन शिव पूजा कर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। चूंकि भोलेनाथ भक्तों से बहुत आसानी से प्रसन्ना होते हैं इसलिए श्रावण मास में उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत, पूजन और अर्चना की जाती है। इस मास में प्रति सोमवार या प्रदोष को शिव पूजा या पार्थिव शिव पूजा विशेष फलदायी होती है।

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