Tuesday 29 July 2014

Bogus phone calls to the police sleepless

छत्‍तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में फोन के माध्यम से ठगी का धंधा चरम पर है। आए दिन इसकी शिकायत पुलिस को मिल रही है। पर पुलिस के सामने चुनौती यह है कि इस प्रकार के ज्यादातर कॉल नेट से किए जाते हैं, जिसकी कॉल डिटेल मिलना काफी मुश्किल होता है। अब बैंकों पर भी इस मामले में मिलीभगत के आरोप लगने लगे हैं। पुलिस भी इन मामलों में बैंकों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है कि आखिर खातों की पूरी जानकारी अन्य किसी को कैसे मिल जाती है।

आए दिन लोगों को फोन करके उनके डेबिट कार्ड की डिटेल पूछी जाती है, उसके बाद खाते से पैसे गायब हो जाते हैं। इस तरह की सैकड़ों शिकायत पुलिस को मिल चुकी है। पहले भी इस तरह की ठगी के कई प्रकरण पुलिस के पास पेंडिंग हैं, लेकिन ये मामले लाटरी के नाम पर ठगी के होते थे। कभी चेहरा पहचानने के नाम पर तो कभी वर्ग पहेली भरने के नाम पर। किसी को कार का प्रलोभन दिया जाता था तो किसी को पैसा मिलने का।

कई लोग लुट पिटकर पुलिस के पास आते हैं। पर पुलिस के सामने चुनौती है कि अज्ञात आरोपियों को पकड़े कैसे। इन लोगों के पास न सिर्फ बैंक कस्टमर के मोबाइल नंबर होते हैं, बल्कि एकाउंट डिटेल भी होती है। लेकिन आरोपी न तो पकड़ा जाता और न ही उसका पता चलता है।

लेकिन अब ठगों ने अपना पैटर्न बदल लिया है, उन्होंने लोगों के बैंक एकाउंट से उनके मोबाइल नंबर को लेकर उन्हें फोन कर एकाउंट सुधारने के नाम पर ठगी करने लगे हैं। थानों में इस तरह की शिकायतों के अंबार लगे हैं। हालांकि एक भी मामले में आज तक एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकी है। लेकिन अब पुलिस इन मसलों पर आरपार की लड़ाई के मूड में दिख रही है।

ज्यादातर कॉल बिहार से

इस तरह के ज्यादातर कॉल बिहार से आते हैं। यदि आपने रिस्पांस नहीं दिया, तब भी वे पीछे पड़ जाते हैं और आपसे आपके एटीएम कार्ड का सीरियल नंबर जानने की कोशिश करते हैं। शहर के रामभाठा के एक व्यक्ति के पास जब इस तरह का फोन आया तो उसे लगा कि बैंक वालों ने फोन किया होगा। उसने एटीएम कार्ड का सीरियल नंबर बता दिया, इसके बाद पिन कोड भी पूछा गया। उसके द्वारा कोड बताते ही धन्यवाद बोलकर फोन काट दिया और तत्काल उसके एकाउंट के 22 हजार रुपए निकाल लिए गए।

बैंक से मिलता है डिटेल्स

ठगी करने वालों को खाताधारकों की पूरी डिटेल्स कहां से मिलती है? क्योंकि यदि आम आदमी को अपने बैंकों से इस तरह की डिटेल्स लेना चाहे तो उसे काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। लेकिन दूसरों को यह जानकारी कैसे लीक हो रही है, यह सवाल अब बैंकों पर भारी पड़ने वाला है। किसी के एकाउंट को नेट पर तभी देखा जा सकता है जब उसके पास उसका नंबर और पासवर्ड हो। ऐसे में बैंक कर्मचारियों पर संदेह होना बाजिव जान पड़ता है।

तीन माह में 78 शिकायत

जिले के थानों में तीन माह में 78 शिकायतें इस तरह की मिली हैं। वहीं कई लोग अपराध होने के बाद भी शिकायत नहीं करते हैं, उनकी कोई गिनती नहीं है। इसके बाद भी पुलिस ऐसे मामलों में अब तक शिकायत दर्ज करने के अलावा कुछ नहीं करती। शिकायतकर्ताओं में ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो ठगी के शिकार हो चुके हैं। शिकायत के बाद फोन ट्रैस किया जाता है और डिटेल्स भी निकाली जाती है, जिस पर आगे कार्रवाई होती है। पर सूत्रों के अनुसार ऐसी कॉल की कोई डिटेल पुलिस को नहीं मिलती है।

नेट से किया जाता है कॉल

इस तरह के ज्यादातर कॉल नेट से किए जाते हैं और नेट से की गई कॉल का आईपी एड्रेस ही मिलता है, जो सर्विस प्रदाता द्वारा बराबर बदल दिया जाता है। इसलिए किसी भी हालत में आईपी एड्रेस के सहारे किसी कॉल को ट्रैस नहीं किया जा सकता है। इसलिए पुलिस अब सीधे बैंकों से बात करने की कोशिश कर रही है। साथ ही वह यह भी जानने की कोशिश करेगी कि किसी भी खाते के डिटेल्स जानने की तकनीक आखिर क्या है?

सभी शिकायतों पर कार्रवाई की जाएगी। हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर बैंकों से ज्यादातर सूचनाएं लीक कैसे हो जाती हैं। इस संबंध में तकनीक का ज्ञान रखने वालों का भी सहयोग लिया जाएगा।

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