Wednesday 16 July 2014

Two incidents of suicide every day in the capital are also known minor

राजधानी में आत्महत्या की दो घटनाएं रोज हो रही हैं। जनवरी से जून तक के आंकड़ें देखें तों आत्महत्या से 337 लोगों की जानें जा चुकी हैं। इसमें फांसी लगाकर जान देने की घटनाएं सबसे अधिक हैं। विवाहितों के अलावा नाबालिग भी आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। नशा, पारिवारिक विवाद, प्रेम-प्रसंग के मामलों समेत छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग अपनी जान दे रहे हैं।

आत्महत्या-जैसी घटना बढ़ने से पुलिस प्रशासन के अलावा विशेषज्ञ (मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक) भी चिंतित हैं। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों में सहन-शक्ति कम होती जा रही है। लोग अपने गुस्से और जज्बात पर काबू नहीं रख पा रहे हैं, इसलिए आत्मघाती कदम उठा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण पारिवारिक विवाद और नशा है। राजधानी में जनवरी से जून तक लगभग 337 लोगों ने आत्महत्या की है।

क्षणिक आवेश में आत्महत्या

राजधानी में बीते 6 माह में 54 नाबालिगों ने आत्महत्या की है। इसमें ज्यादातर लोगों ने प्रेम-प्रसंग के चलते अपनी जान दी है। इसमें 27 किशोर और 27 किशोरी हैं। इसमें ज्यादातर लोगों ने फांसी लगाकर जान दी है। कुछ ने आत्मदाह जैसा कदम उठाया है। विशेषज्ञों के अनुसार पढ़ने-लिखने की उम्र में लोग इश्क में पड़ रहे हैं। बाहरी सुंदरता को देखकर प्यार करते हैं। यह सब टीवी और सिनेमा की देन है। जब प्यार में धोखा खाते हैं तो वे अपने आप को संभाल नहीं पाते। उस स्थिति में उनमें सहन-शक्ति कम हो जाती है। वे पूरी तहर से परिपक्व नहीं होते हैं। क्षणिक आवेश में आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं। इन सबसे छुटकारा पाने का उन्हें सबसे आसान रास्ता मौत लगती है। इसके अलावा उन्हें कोई रास्ता दिखाई नहीं देता है। वहीं जब बच्चे मां-बाप की उम्मीद के अनुरूप परिणाम नहीं लाते हैं या उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं कर पाते हैं तो इस तरह के आत्मघाती कदम उठाते हैं। उनमें अपने पालकों का सामना करने की क्षमता नहीं होती है।

आर्थिक तंगी और आपसी विवाद

बीते 6 माह में राजधानी में 274 महिलाओं औेर पुरुषों ने आत्महत्या की है। इसमें ज्यादातर 22 से 35 साल के लोग शामिल हैं। इस उम्र में व्यक्ति में जिम्मदारी बढ़ जाती है। पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद रोजगार की तलाश करते हैं या शादी होने पर आर्थिक तंगी से जूझते रहते हैं। इससे जीवन में निराशा आने लगती है।

विशेषज्ञों के अनुसार महिला और पुरुष खास तौर पर पारिवारिक विवाद और आर्थिंक तंगी के कारण ही जान देते हैं। वर्तमान में लोग अपने वैवाहिक जीवन में ज्यादा खुश नहीं रहते हैं। शादी हुई नहीं कि उनका आपसी विवाद शुरू हो जाता है।

नशे ने की सहनशक्ति कम

विशेषज्ञों की मानें तो नशे की लत ने लोगों की सहनशक्ति को और ज्यादा कम कर दिया है। व्यक्ति नशे की हालत में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। भावना में बहकर आत्मघाती कदम उठाता है। गांजा और शराब सबसे ज्यादा घातक हैं। ये लोगों को बहुत आसानी और सस्ते दाम में उपलब्ध हो जाते हैं। नशा विवाद का कारण बनता है। विवाद तनाव का कारण होता है, जिसे व्यक्ति सहन नहीं कर पाता तो जान देता है।

अवसाद से ग्रस्ति मनुष्य

वर्तमान में व्यक्ति अवसाद से ग्रसित है। वह उसे समझ नहीं पाता है। आत्महत्या करना भी एक मनोरोग है। जिनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं होती है, वे इस तहर की कदम उठाते हैं। आत्महत्या के मामले में 15 से 35 साल के बीच के लोग ज्यादा हैं। इसका सबसे बड़ा कारण नशा और सहनशक्ति न होना है। वर्तमान में हमारे आसपास नशे की वस्तुएं आसानी से उपब्लध हैं। जैसे शराब, गांजा, लोशन आदि। ये वस्तुएं दिमाग को कमजोर करते देती हैं। मनुष्य में आवेश बढ़ा देती हैं। महंगाई और बेरोजगारी भी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार हैं। युवा पीढ़ी की आवश्यकताएं अधिक हैं, लेकिन उनके पास पैसे नहीं होते हैं। इससे वे इस तरह के कदम उठाते हैं।

- डॉ. सोनिया परियल, मनोचिकित्सक

जिद्दीपन भी आत्महत्या का कारण

आत्महत्या का एक कारण जिद भी है। लोग अपनी जिद पर अड़े रहते हैं। खासतौर से महिलाओं और किशोरियों में इस तरह का व्यवहार पाया जाता है। उन्हें जब अनुशासन में रहने या उनके लिए दायरा बांधा जाता है तो उन्हें वह नागवार गुजरता है। जो युवती या किशोरी हॉस्टल या पीजी में रहती हैं, वे अपने आप को स्वतंत्र महसूस करती हैं। उन्हें किसी तरह का दबाव पसंद नहीं होता है। जब पालक उन्हें दायरे में रखते हैं तो वे आत्महत्या जैसे कदम उठाती हैं। आत्महत्या का दूसरा कारण आधुनिकता है। युवा अपने आप को हर तरह से आधुनिक रखना चाहते हैं। चाहे उनके पास पैसा हो या न हो। वक्त के साथ उनकी आवश्यकताएं बढ़ती जा रही हैं। लेकिन पूर्ति के साधन सीमित हैं। वहीं कम उम्र में लोग प्रेम-प्रसंग में पड़ जाते हैं। जब प्यार में धोखा खाते हैं तो वे अपने दिल को संभाल नहीं पाते। लोग फांसी इसलिए लगाते हैं, क्योंकि जब भी उनकी भावनाओं को टेस पहुचंती है या आवेश में आते हैं तो उन्हें मौत का रास्ता नजर आता है। फांसी आत्महत्या का आसान रास्ता दिखाई देता है।

- प्रो. सिमी श्रीवास्तव, मनोवैज्ञानिक

आत्महत्या के आंकड़े

पुरुष - 189

महिलाएं- 85

किशोर- 27

किशोरी- 27

योग - 331

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