Thursday 31 July 2014

Every month one corer rupee line loss

विद्युत विभाग में लगातार लाइन लॉस के प्रतिशत में इजाफा हो रहा है। प्रतिमाह एक करोड़ यूनिट बिजली यूं ही व्यर्थ हो जा रही है। इस तरह दो करोड़ की बिजली का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसमें एक करोड़ रुपए की बिजली श्रमिक बस्तियों में लंगर डालकर चोरी कर ली जाती है। शेष एक करोड़ रुपए की बिजली खराब उपकरण व लाइन की वजह से लॉस हो जाता है। वर्तमान में लाइन लॉस 34.15 फीसदी तक जा पहुंचा है। पिछले तीन माह के अंदर ही इसमें दो प्रतिशत की वद्धि हुई है।

वितरण विभाग पर लाइन लॉस घटाने का दबाव है। प्रत्येक वर्ष 5 फीसदी लाइन लॉस घटाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में विद्युत विभाग के अफसरों द्वारा जी तोड़ कोशिश किए जाने के बाद भी लाइन लॉस पर काबू नहीं पाया जा सका है। वित्तीय वर्ष समाप्त होते तक लाइन लॉस में 3 से 4 फीसदी की कमी आती है, किंतु नए वित्तीय वर्ष शुरू होने के साथ ही लाइन लॉस में पुनः इजाफा हो जाता है। वित्तीय वर्ष 2013-14 में लाइन लॉस की स्थिति 38.14 फीसदी थी। विभाग द्वारा इसमें अंकुश लगाया गया और स्थिति 33.26 फीसदी पहुंच गई थी, जबकि विभाग को 31.23 फीसदी लाइन लॉस करने का लक्ष्य दिया गया था।

विभाग अपने लक्ष्य से दो फीसदी पीछे रहा। अब विभाग को 5 फीसदी करने का लक्ष्य दिया गया है। इस आंकड़े में भी अब इजाफा हो गया और लाइन लॉस 34.15 फीसदी से 31 तक पहुंंच गया था। वर्तमान यह आंकड़ा 35 फीसदी से ज्यादा पार हो चुका है। लाइन लॉस को आंकड़े की दृष्टि से देखा जाए तो वर्ष 2013-14 में विभाग को शहरी क्षेत्र से ही 19 करोड़ यूनिट से ज्यादा लाइन लॉस झेलना पड़ा है, जो अपने निर्धारित लक्ष्य से काफी अधिक था।

बताया जाता है कि विभाग को प्रतिमाह एक करोड़ से भी ज्यादा यूनिट की लाइन लॉस का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। इसमें विभिन्न माध्यमों से बिजली चोरी भी शामिल है। यानी दो करोड़ से भी ज्यादा राशि की प्रतिमाह नुकसान वितरण विभाग को झेलना पड़ रहा है और इस राशि का कोई हिसाब ही विभाग के पास स्पष्ट रूप से नहीं रहता है। लाइन लॉस में बिजली चोरी का मामला भी शामिल है। जितना लॉस अव्यवस्था की वजह से हो रहा है, उतना ही लॉस हूकिंग व चोरी छिपे बिजली का उपयोग किए जाने से हो रहा है।

लक्ष्य भी अलग-अलग

वितरण कंपनी ने लाइन लॉस को कम करने हेतु लक्ष्य भी अलग-अलग मापदंड के अनुसार रखा है। भले ही हूकिंग के माध्यम से बिजली चोरी हो रही है या फिर तारों में खराबी या अन्य तकनीकी खामियां हो। विभाग द्वारा इस लाइन लॉस की ही दृष्टि से देखता है। कंपनी ने इस वर्ष लाइन लॉस कम करने हेतु अलग नियम बनाए हैं, जिसके तहत 30 से 40 फीसदी लाइन लॉस वाले क्षेत्र को पांच फीसदी तथा इससे ज्यादा होने पर 10 फीसदी लाइन लॉस कम करना होगा।

इस बार 7 फीसदी घटाने की चुनौती

वितरण कंपनी ने कोरबा जिले को लाइन लॉस करने का लक्ष्य सौंपा है। पांच फीसदी कम करने का लक्ष्य दिया गया है। उक्त लक्ष्य 33.26 से कम कर लगभग 28 फीसदी लाना होगा, किंतु लाइन लॉस में इजाफा होकर 35 फीसदी पहुंच गया है। ऐसी स्थिति में विभाग को कोरबा में सात फीसदी लाइन लॉस कम करना होगा।

तकनीकी लॉस कम

वितरण विभाग द्वारा लाइन लॉस के लिए गाइड लाइन तैयार की गई है। उसके मुताबिक तकनीकी लाइन लॉस में ट्रांसफार्मर एवं विद्युत तारों की खराबी को शामिल किया गया है। इससे 15 फीसदी से भी ज्यादा लाइन लॉस नहीं होना चाहिए, लेकिन जिले में इसका आंकड़ा काफी अधिक है। वर्तमान में 34.15 फीसदी लाइन लॉस है, इसलिए 19.15 लाइन लॉस कम करना होगा। इस 19.15 फीसदी लाइन लॉस में हूकिंग मीटर बाइपास व बिजली चोरी भी शामिल है।

बकाया पहुंचा 33 करोड़

वितरण विभाग का बकाया 33 करोड़ पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2013-14 के समापन पर मार्च में एरियर्स की स्थिति 29 करोड़ थी, जो तीन माह में बढ़कर 33 करोड़ हो गई है। विभाग द्वारा मेंटेनेंस पर ही इस दौरान ज्यादा ध्यान दिया गया है। वसूली अभियान नहीं चलाए जाने की वजह से बकाया राशि में इजाफा होते गया और 4 करोड़ रुपए बढ़ गए हैं। अब बारिश शुरू हो चुकी है, ऐसी स्थिति में बकायादारों के खिलाफ अभियान चलाना फिलहाल मुश्किल नजर आ रहा है। बारिश के बाद अभियान शुरू होगा तब तक बकाया राशि में इजाफा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

बकायादारों के खिलाफ शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा। लाइन लॉस को कम करने के लिए एबीसी केबल लगाए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी केबल लगाने की प्रक्रिया राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत किया जा रहा है। प्रथम चरण में 225 किलोमीटर तक केबल बिछाया जा चुका है।

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